कविता:-
*"बन जाता भगवान है"*
"मानव हो कर मानव सेवा,
करता जो इन्सान हैं।
मानवता की तो जग में फिर,
बाकी यही पहचान है।।
सेवा भाव संग जीवन में,
चलता जो इन्सान है।
काम,क्रोध,मद् लोभ का यहाँ,
बचता नहीं निशान है।।
सबके सुख की कामना यहाँ,
करता जो इन्सान है।
धरती पर रह कर भी वो तो,
बन जाता भगवान है।।"
ःःःःःःःःःःःःःःःःःः सुनील कुमार गुप्ता
sunilgupta.abliq.in
ःःःःःःःःःःःःःःःःः 15-07-2020
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