सुरेन्द्र पाल मिश्र पूर्व निदेशक भारत सरकार

द्वादश ज्योतिर्लिंग वन्दना की श्रंखला में   


 सप्तम्--- 


सप्तम् ज्योतिर्लिंग शम्भु का श्री रामेश्वर शुभ फलदायक।


तमिलनाडु प्रान्त में स्थित शिव भक्तों का सदा सहायक।


रावण की लंका नगरी पर जब चले आक्रमण को रघुवर।


जल पान किया रघुनंदन ने ताम्रपर्णी सागर संगम पर।


उसी समय नभ से यह वाणी ध्वनित हुई सागर के तट पर।


बिना किए पूजा मेरी तुम कैसे पीते हो जल रघुवर।


सुनकर यह पूजा की शिव की बालू से शिव लिंग बना कर।


विजय मिले रावण पर मुझको मांगा शिवशंकर से यह वर।


प्रगट हुए वर दिया राम को कर स्वीकार प्रार्थना सबकी


करने लगे निवास वहीं पर ज्योतिर्लिंग रूप में शिव जी।


चरण कमल रज शीश धरूं नित पूजूं तुम्हें सदा निष्काम


हे शिवशंकर हे गंगाधर हे गौरीपति तुम्हें प्रणाम


 


कोई टिप्पणी नहीं:

Featured Post

दयानन्द त्रिपाठी निराला

पहले मन के रावण को मारो....... भले  राम  ने  विजय   है  पायी,  तथाकथित रावण से पहले मन के रावण को मारो।। घूम  रहे  हैं  पात्र  सभी   अब, लगे...