सुरेन्द्र पाल मिश्र पूर्व निदेशक भारत सरकार द्वादश ज्योतिर्लिंग स्तुति द्वितीय    


ज्योतिर्लिंग दूसरा पावन तमिलनाडु प्रान्त में स्थित।


पाप नसावन परम तीर्थ यह महिमा अमित शास्त्र में वर्णित।


श्री गणेश अरु कार्तिकेय से बोले इक दिन यूं शिवशंकर।


परिक्रमा करके पृथ्वी की आना तुमको कैलाश शिखर।


जो परिक्रमा पूरी करके दोनों में पहले आयेगा।


उसका ही प्रथम वरण होगा विधिवत विवाह हो जायेगा।


सुनकर यह स्वामी कार्तिकेय त्वरित परिक्रमा पर धाये।


थे श्री गणेश स्थूल काय उत्तम विचार मन में आये।


निज मातु पिता का पूजन कर की उनकी सातों परिक्रमा।


शास्त्रानुसार इस भांति हुई पृथ्वी की पूरी परिक्रमा।


श्री गणेश का रिद्धि सिद्धि से पहले विवाह सम्पन्न हुआ।


लौटे जब श्री कार्तिकेय जी यह देख उन्हें अति खेद हुआ।


होकर रुष्ट कोच्चि पर्वत पर श्री कार्तिकेय जी चले गए।


माता जी गईं मनाने उनको शिव जी भी पीछे पहुंच गए।


ज्योतिर्लिंग रूप में प्रगटे तब प्रथम मल्लिका पुष्प चढ़ा।


शास्त्रोक्त इसी कारण से श्री मल्लिकार्जुन नाम पड़ा।


चरण कमल रज शीश धरूं नित पूजूं सदा तुम्हें निष्काम।


हे शिव शंकर हे गंगाधर हे गौरी पति तुम्हें प्रणाम।


सुरेन्द्र पाल मिश्र पूर्व निदेशक भारत सरकार।


फोन-९९५८६९१०७८,८८४०४७७९८३


कोई टिप्पणी नहीं:

Featured Post

दयानन्द त्रिपाठी निराला

पहले मन के रावण को मारो....... भले  राम  ने  विजय   है  पायी,  तथाकथित रावण से पहले मन के रावण को मारो।। घूम  रहे  हैं  पात्र  सभी   अब, लगे...