द्वादश ज्योतिर्लिंग वन्दना की श्रंखला में
--- अष्टम्--
अष्टम् ज्योतिर्लिंग शम्भु का है गुजरात प्रान्त में स्थित।
श्री नागेश्वर नागनाथ जी विविध भोग आभूषण भूषित।
निकट द्वारका उत्तर पश्चिम अति रमणीय सदंग नगरी।
सद्भक्ति मुक्ति दायक प्रभु में शिव भक्तों की आस्था गहरी।
धार्मिक सुप्रिय शिव भक्त परम शिव की पूजा में लीन सदा।
दारुक राक्षस था शिव द्रोही उससे क्रोधित रहे सर्वदा।
एक दिवस जा रहे काम से श्री सुप्रिय नौका पर चढ़कर।
तत्क्षण उन्हें बन्दी बना कर डाला कारागृह के अंदर।
कारागृह में भी श्री सुप्रिय के सदा ध्यान में थे शिवशंकर।
ज्योतिर्लिंग रूप में प्रगटे शिव तेजोमय सिंहासन पर।
श्री सुप्रिय को दर्शन देकर निज पाशुपत अस्त्र प्रदान किये।
इससे दारुक का वध करके श्री सुप्रिय शिव के धाम गये।
श्री शिव के आदेशानुसार इसका नाम पड़ा नागेश्वर।
मैं शरण आपकी आया हूं कल्याण करो मेरा प्रभुवर।
चरण कमल रज शीश धरूं नित पूजूं तुम्हें सदा निष्काम।
हे शिवशंकर हे गंगाधर हे गौरीपति तुम्हें प्रणाम।
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