सुरेन्द्र पाल मिश्र पूर्व निदेशक भारत सरकार।

द्वादश ज्योतिर्लिंग वन्दना की श्रंखला में


--- षष्ठम्---


षष्ठम् ज्योतिर्लिंग शम्भु का जग विख्यात श्री भीमशंकर।


पूना की उत्तर दिश स्थित है भीम नदी तट सह्याद्रि शिखर पर।


कुम्भकरण सुत भीम प्रतापी क्रुध राम द्वारा पितु वध पर।


वर्ष हज़ार तप कर ब्रम्हा से पाया उसने जग विजयी वर।


देव लोक को पराभूत कर किया आक्रमण कामरूप पर।


राज सुदक्षिण को बन्दी कर डाला कारागृह के अंदर।


पार्थिव शिवलिंग बना भूपति ने विधि वत की पूजन अर्चन।


किया प्रहार लिंग पर उसने होकर क्रोधित करके गर्जन।


छू भी ना पाई थी कृपाण प्रगट हुए तत्क्षण शिवशंकर।


हुंकार मात्र से शिव जी की हो गया भस्म राक्षस जलकर।


आनंदित ऋषि मुनि देवों ने करके स्तुति की यह विनती।


वास करें ज्योतिर्लिंग रूप मंगलमय हो सारी धरती।


स्वीकार किया सबकी विनती प्रभु करने लगे निवास वहीं।


अपवित्र क्षेत्र अब है पावन तीरथ ऐसा अन्यत्र नहीं।


चरण कमल रज शीश धरूं नित पूजूं तुम्हें सदा निष्काम। हे शिवशंकर हे गंगाधर हे गौरीपति तुम्हें प्रणाम।


      सुरेन्द्र पाल मिश्र पूर्व निदेशक भारत सरकार।


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