सुरेन्द्र पाल मिश्र पूर्व निदेशक भारत सरकार

द्वादश ज्योतिर्लिंग वन्दना की श्रंखला में


 --- पंचम ---


पंचम ज्योतिर्लिंगम् स्थित विहार प्रान्त सन्थाल परगना।


चिता भूमि में शिव गिरिजा संग वैद्यनाथ पद करूं बन्दना।


कठिन तपस्या की शिव जी की रावण ने कैलाश शिखर पर।


प्रगट हुए शिव फिर शिव जी बोले वर मांगो मम प्रिय लंकेश्वर।


रावण ने विनती की शिव से प्रभु वास करो लंका नगरी।


शिव जी ने ज्योतिर्लिंग दिया बोले ले जाओ निज नगरी।


पर इसे भूमि पर मत रखना होगा स्थित अन्यथा वहीं।


सम्भव फिर कभी नहीं होगा ले जाना इसको और कहीं।


ज्योतिर्लिंग शम्भु का लेकर लंकेश्वर ने प्रस्थान किया।


पथ में लगी तीब्र लघुशंका इक गोप बाल को देख लिया।


देकर ज्योतिर्लिंग बाल को वह निवृत होने चला गया।


लिंग भार से व्याकुल बालक रखकर वहीं अदृश्य हो गया।


लौटा रावण लगा उठाने पर उसको हिला नहीं पाया।


निज अंगुष्ठ का चिन्ह बनाकर रावण वापस लंका आया।


ब्रम्हा विष्णु तथा देवों ने विधि विधान से किया प्रतिष्ठित।


चले गए निज निज लोकों को करके श्रद्धा सुमन समर्पित।


वैद्यनाथ विख्यात जगत में ज्योतिर्लिंग अमित फलदायक।


मिलती भक्ति मुक्ति पूजन से पाप नाश में सदा सहायक।


चरण कमल रज शीश धरूं नित पूजूं तुम्हें सदा निष्काम।


हे शिवशंकर हे गंगाधर हे गौरीपति तुम्हें प्रणाम।


   


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