*मधु के मधुमय मुक्तक*
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*उद्देश्य*
निश्चित है उद्देश्य वो, निश्चय हो गर राह।
बाधा सारी दूर कर, पाते निश्चित चाह।
विचलित होना मत कभी, नहीं निराशा हाथ,
बढ़ते जाना राह पर, मंजिल पर हो वाह।।
संकट में लाए सदा, दृढ़ निश्चय विश्वास।
कर्म निहित मानव सदा, बन जाता है खास।
करो जतन निश्चय सहित, भूलो मत उद्देश्य,
मिले मूल उद्देश्य जब, लक्ष्य रचे इतिहास।।
संकल्पित उद्देश्य ही, जीवन का हो मूल।
दृढ़ इच्छा विश्वास से,प्रस्तर खिलता फूल।
शास्त्र कहे संकल्प से, सहज रूप उद्देश्य,
मस्तक का चंदन बने, मधु चरणों की धूल।।
*मधु शंखधर स्वतंत्र*
*प्रयागराज*
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