मधु शंखधर स्वतंत्र

वीर सपूतों की यह धरती, हम सबका अभिमान है।


भारत सा क्या दूजा कोई, भारत देश महान है।।


 


राम कृष्ण की भूमि पावन, संस्कार की धाती है।


सभ्य सभ्यता इस भूमि की, सहज भाव दर्शाती है।


समता का ले भाव सदा ही, संविधान का मान है।


भारत सा क्या दूजा कोई,भारत देश महान है।।


 


एक तिरंगा लहराता है,तीन रंग सबको भाए।


केसरिया जो त्याग का सूचक, श्वेत शांति को समझाए। 


हरा रंग समृद्धि लिए है, मध्य चक्र गतिमान है।


भारत सा क्या दूजा कोई, भारत देश महान है।


 


वीर शिवाजी, जीजाबाई, प्राण किए थे न्यौछावर।


राणा का भाला जब चलता, प्राण तजे अरि तब जाकर,


मंगल पांडे, वीर सावरकर, रणबाँकुर से शान है।


भारत सा क्या दूजा कोई, भारत देश महान है।।


 


युगों युगों से गंगा यमुना, इसका मान बढ़ाती हैं।


देवों का यह देश निराला, सत्य सनातन माटी है।


इस माटी का कर्ज चुकाओ, मानव तन जब प्राण है।


भारत सा क्या दूजा कोई, भारत देश महान है।


 


*मधु शंखधर स्वतंत्र*


*प्रयागराज*


*9305405607*


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