आभा गुप्ता 

देश को आजाद हुए गुजर गए अनेक वर्ष 


  जशने आजादी में अब नजर नही आता, 


सन् सैतालिस की बेताबी, उल्लास और हर्ष ।


नहीं रहा अब दिलों मे वह आजादी का जज्बा और सुरूर।


जिसे मनाते हुए हर एक दिल मे होता था बेशुमार गुरूर ।


देशभक्तों ने भारत माॅ को, दिलाई थी आजादी ।


 


आजाद देश के भटके लोगो ने, कर दी उसकी पूरी बर्बादी ।


वर्षो बाद आज भी भारत माॅ, खून के आॅसू है बहाती ।


 


भीगे नयनों से भटके हुए बच्चों को, उदास,परेशान अपलक है निहारती ।


स्वयं से करती वह प्रश्न -क्या इसी आजादी के लिए मैंने बच्चों! तुम्हें था पुकारा ।


मेरी लाज न रखकर तुम बन जाओ खूनी दरिन्दे आवारा ।


धिक्कार तुम्हें,न बन सके,मेरी आजादी का सहारा ।


 


बलिदान मेरे सच्चे सपूतों का कर दिया तुमने नकारा ।


हाय!यह कैसी भाग्य की विडंबना जिसे सिसकते हुये मुझे है भोगना ।


विदेशियों ने तो केवल, मेरे वैभव को ही था तोड़ा ।


मेरे अपनों ने तो मेरी आत्मा को है निचोड़ा।


कहाॅ जाऊँ किसे अब पुकारू, आजादी के बिगड़े स्वरूप को कैसे सुधारू।


 


           आभा गुप्ता 


 H2/-121नर्मदा नगर बिलासपुर


मोबाइल नंबर -7828070332


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