शाश्वत प्रेम रुप छवि निर्मल
सकल जगत सुखदायक श्याम।।
राधा के प्रिय तुम्हे कहूँ या
मीरा के घनश्याम।।
मृदुल बॉसुरी की धुन प्यारी।
राधा भूलें सुध वुद्ध सारी।
बरसाने का कण-कण पुलकित
रास रचैया हे गिरधारी।
भक्ति भाव से मीरा नाची।
त्यागा राज भोग सब काम।
*राधा के प्रिय तुम्हे कहूँ या*
*मीरा के घनश्याम।।*
कुँज बिहारी ,हे वनवारी
नटवर नागर हे गिरधारी।
माखनचोर,बने रण छोड़,
तुमने प्रभु सब बात विसारी।
तुम्हे ही ध्यायू तुम्हे पुकारूँ।
निशिदिन आठों याम।।
*राधा के प्रिय तुम्हे कहूँ या*
*मीरा के घनश्याम।।*
नाग नथैया जगत खिवैया,
यशुमति प्रिय बलदाउ भैया।
कंस विदारे द्रोपदी को तारे।
मन मोहन तुम जगत रचैया।।
राधा-श्याम मोहक मनभावन,
युगल छवि नयन सुखधाम।
*राधा के प्रिय तुम्हे कहूँ या*
*मीरा के घनश्याम।*
जन मन रंजन प्रभु भय भंजन,
प्रीत रीति रस मंगलकारी।।
मुरलीधर ,हे नटवर नागर,
गोपियन राधा कृष्ण मुरारी।।
राधा रमणा , मन ब्रजधाम।
राधा के प्रिय तुम्हे कहूँ या
मीरा के घनश्याम।।
✍आशा त्रिपाठी
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