आशुकवि नीरज अवस्थी

*******रक्षाबंधन***********


जो नर हैं धरती पर उनकी , ना सूनी कभी कलाई हो|


हर भाई को एक बहन मिले, और बहनों के भी भाई हो|


रक्षाबन्धन के अवसर पर,रक्षा का वचन निभाएगें.|


कन्या संतति के सरंक्षण, हित सब जन आगे आएँगे|


बालिका अजन्मी की हत्या, जो नित कर रहे कसाई हैं|


जिस घर में बेटी बहन नही, वा घर आँगन दुख दायी है|


नीरज नयनन की आस यही भैया के संग भौजाई हो


हर भाई को एक बहन मिले, और बहनों के भी भाई हो|


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मेंहदी भरे हाँथ बहना के और अखण्ड सुहाग रहे।


राखी सजे हाथ पर मेरे किंचित द्वेष न राग रहे।।


भाई-बहन का प्यार अलौकिक अतुलनीय धरती पर है,


हर भाई को बहन विधाता देना नीरज मांग रहे।


 


हम भावुक हो अश्रुबिंदु की भेंट समर्पित करते है।


वैभवशाली बहनो पर निज प्राण निछावर करते है।


नेह बहन भाई का जिसके सन्मुख दिनकर भी फीका।


बहनो के चरणों में मुद्रा महल अटारी धरते है


मो.-9919256950


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