मैल तन से धोते जाओ,
हृदय निर्मल करते जाओ,
तन मन हर्षित करते जाओ,
बारिश में नित भीगते जाओ।।
शीतल शुभ्र मन कर जाओ,
विचार अब सार्थक कर जाओ,
नैत्रों को अब तर करते जाओ,
बारिश में नित भीगते जाओ।।
भाव तेरा-मेरा बहाते जाओ,
नम संबंधों में होते जाओ,
शांत सहज नित होते जाओ,
बारिश में नित भीगते जाओ।।
सादर सस्नेह...
©अमित कुमार दवे,खड़गदा
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