#मत्तगयन्द_सवैय्या #कवि_रजत
राम लला घर लौट रहे चहुँ ओर खुशी मन भावन लागे,
गाँव गली हर एक दिशा शुभ गूँज रही धुन पावन लागे।
खत्म हुआ वनवास छिपा मुँह दुष्ट पराजित रावन लागे,
वेग न थाम सकें दृग के पट प्रेम झरे जस सावन लागे।।
©अवधेश रजत
वाराणसी
सम्पर्क #8887694854
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