मातृभूमि की रक्षा खातिर ,त्याग दिये अपने प्राण।
आओ मिलकर जलाये ,एक दीया शहीदों के नाम।।
पथ हो पहाड़ हो चट्टानों की दीवार हो।
जल हो मरुस्थल हो हिम् या दलदल हो।।
करते देश की रक्षा चाहे कोई भी हो अंजाम।
आओ मिलकर जलाये एक दिया शहीदों के नाम।।
पुलवामा पठानकोट कश्मीर और हो उरी।
लड़ते देश की ख़ातिर कोई भी हो मजबूरी।।
धर्म जिसका देशभक्ति भारत जिसका मुकाम।
आओ मिलकर जलाये एक दीया शहीदों के नाम।।
पत्नी रोती घर मे माँ का आँचल सुना।
बहन का खोया राखी पिता का बेटा नगीना।।
धरती रोती अम्बर रोता ,रोता हिंदुस्तान।
आओ मिलकर जलाये एक दीया शहीदों के नाम।।
भारत माँ के सच्चे सपूत देश के तुम जाबाज।
नाज पूरे भारत को तेरी जांबाजी पे आज।।
तेरी इस कुर्बानी को सदा वतन करेगा सलाम।
आओ मिलकर जलाये एक दीया शहीदों के नाम।।
नाम -अवतार सिन्हा अँगार
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