अविनाश सिंह

कफ़न तिरंगे का जो ओढ़े,उन्हें है प्रणाम


देश के लिए ऐसी कुर्बानी होना चाहिये


 


करके प्रहार घात , शत्रु शीश काट कर 


रणबांकुरों की ये कहानी होनी चाहिए


 


दुश्मनों का छीन शान,देशहित दिए जान


ऐसे वीर योद्धा को सलामी होना चाहिये


 


काट के गर्दन लाये,पाक को धूल चटायें


देश के लाल की ये कहानी होना चाहिये


 


तिरंगे मेरी शान हैं , दुश्मनों को मात कर


भगत सिंह वाली जवानी होना चाहिये


 


करते ना कोई पाप, रहते मन से साफ


राष्ट्र के खातिर स्वाभिमानी होना चाहिये


 


करें जो एकता भंग, कर दो उसका अंत


गद्दारों की ऐसी मेजबानी होना चाहिये


 


बढ़ाते है कदम जो ,रुकते ना वीर कभी


मन में सभी के हिंदुस्तानी होना चाहिए


 


दुश्मनों को चुन चुन,गोलियों से भून भून


झाँसी कीरानी जैसी मर्दानी होना चाहिये


 


अविनाश सिंह


शिक्षक,लेखक


कोई टिप्पणी नहीं:

Featured Post

दयानन्द त्रिपाठी निराला

पहले मन के रावण को मारो....... भले  राम  ने  विजय   है  पायी,  तथाकथित रावण से पहले मन के रावण को मारो।। घूम  रहे  हैं  पात्र  सभी   अब, लगे...