हो गए शहीद जो
याद हम उनको करें,
मार्ग जो बता गए
चलने का प्रण करें।
सारे मोह छोड़ कर
देश के लिए लड़े,
खेल सा समझ कर
फाँसी पर भी चढ़े।
गूँजती है आज भी
हवा में उनकी सदाएँ,
हर अधरों पर आज
बोल रही उनकी कथाएँ।
आ पड़ा है अब समय
हर हाथ में शस्त्र हो,
जो बेड़ियाँ जकड़ रही
उन्हें काटने का अस्त्र हो।
वे तो हो गए शहीद
लिख कर स्व अध्याय,
जीवित रहेंगे वे तभी
सब लिखें नव अध्याय।
है राष्ट्रहित सर्वोपरि
याद यह प्रतिपल रहे,
हर शहीद की कामना
मेरा राष्ट्र अग्रणी रहे।
देश के हर युवा की
बस यही एक चाह हो,
राष्ट्रहित के लिए ही
निकलती हर राह हो।
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डा० भारती वर्मा बौड़ाई
देहरादून, उत्तराखंड
9759252537
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