दयानन्द त्रिपाठी व्याकुल

जन-जन में बस जायेगा


जब राष्ट्रवाद की दृढ़ता


तब भारत में होगा 


भारत की ही स्थिरता।


 


मिट जायेंगे फिर दुश्मन


जो घात लगायें ताक रहे


दिन-दिन विश्व में नाम बढ़े


दोहरे चरित्र वाले कांप रहे।


 


दोहरे चरित्र के क्या कहने


खाते, रहते हिन्द में पलते हैं


मां भारती के गौरव को लेकर ही


नयी - नयी चालें चलते रहते हैं।


 


भारत की पावन धरा रज


हम नित शीश चढ़ाते हैं


आनबान और शान के लिये


मर मिटने को इतराते हैं।


 


सत्य अहिंसा नित बतलाता


भारत की अखण्ड स्वतंत्रता रहे


यह स्वप्न हर भारतवासी का है


हर युगों तक तिरंगा फहरता रहे।



  दयानन्द त्रिपाठी व्याकुल


   महराजगंज, उत्तर प्रदेश।


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