हलषष्ठी का पूजन है मनभावन,
भद्र पक्ष में आया है पर्व पावन।
सभी सुहागिनें करतीं पूजन वन्दन
संतानों की दीर्घायु का लेती वचन।
जन्मदिन हलधर का है क्रन्दन,
प्रिय कृष्णा का भी होता वन्दन।
श्रद्धा भाव से जो उन्हें पुकारते
सुख - समृद्धि जीवन भर पाते।
ऐसा सुन्दर फिर दिन है आई,
करते पूजन सब हलषष्ठी माई।
गौरी-गणेश का होता पूजन
शिव संग मां पार्वती का होता अर्चन।
महुआ, लाई और फूल चढ़ातीं,
सतरंगी कपड़ों का निशान पातीं।
छ अन्नों का भोग लगातीं,
छ ही कथा सुना श्रवण सुख पातीं।
हल से जोते बोये अन्न न खातीं
पसहर चावल से ही भोग लगातीं।
निराहार निर्जला व्रत हैं रखती
संतानों की सारी विपदाओं को हरतीं।
भैंस के दूध दही औ घी भी लातीं
पूजन अर्चन वन्दन में रम्ह जाती
हलषष्ठी माई आशिष हैं देती
सारी विपत्तियों को हर लेती।
दयानन्द त्रिपाठी व्याकुल
महराजगंज, उत्तर प्रदेश।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें