आज मेरे राम फिर
अवध में पधार रहे
भक्त हनुमान हमेशा
राम नाम जपते जा रहे।
वर्तमान के गोद में
पल रहे थे भविष्य के सपने
है अयोध्या झूम रही
बस राम ही तो हैं अपने।
रात क्या दिन क्या अंधेरा
है दिव्य उजाली अयोध्या
देख ऐसा लग रहा है
स्वर्ग से उपर है अयोध्या।
यत्न सारे राम ने ऐसे किये
हर क्षण को समेट रही जन सदा
राम अपनी जंग को जीत आखिर
वैदेही संग स्थान को ले रहे सदा।
देख विहगंम दृश्य धरा का
देव सभी अब सकुचाते
काश! राम अपने संग
अवध में ही बसाते।
व्याकुल सदा रहा भारत देखता
लहरों संग सरयू बनी गवाह है
हरिये सभी विपदायें भारत की प्रभु
दें आशिर्वाद जनमानस बेपरवाह है।
दयानन्द त्रिपाठी व्याकुल
महराजगंज, उत्तर प्रदेश।
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