भादों आया
नीले नभ में
छाये बादल
ज्यों गोरी के
नील- नयन में
शोभित काजल
झरें मेघ झर
झर- झर-झर- झर
करें प्रकंपित
तन-मन, थर-थर
तनिक देर में
चमका सूरज चम-
चम-चम-चम
उड़ती तितली
हर्षित कर मन
जन जन प्रमुदित
चहुँ दिशि कलरव
बच्चों का दल
लिये राष्ट्र ध्वज
मधुर कंठ से
गगन गुँजाता
छटा विलक्षण
इन्द्रधनुष बन
मन हर्षाता
राष्ट्र पर्व यह
याद दिलाता
निज गौरव रख
सबसे ऊपर
उड़े तिरंगा
फर-फर-फर-फर
डॉ. आभा माथुर
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