श्रीराम मंदिर का साहित्यिक स्वागत---
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दोहे
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बोल रहे जयहिंद सब ,उपवन बाग मिलिंद ।
अपने घर में आ गये, आज इमामे हिंद ।। १।।
(इमामे हिंद -भगवान राम)
ईश्वर या अल्लाह हों , राजनीति से दूर ।
दोनों एक प्रणम्य हैं , उन्हीं का जग में नूर।।२।।
मंदिर था प्रभु राम का, नहीं बहुत आसान।
योगी अंगद हो गये, मोदी श्री हनुमान।।३।।
हिन्दू हो या सिक्ख हो, ईसाई इस्लाम।
लेकिन है ध्रुवसत्य यह,सबके पूर्वज राम।।४।।
आज शम्सि मीनाई की,नज्म हुई साकार।
इंकलाब की किरण को,मिला भव्य घर द्वार।।५।।
(इंकलाब की किरण-भगवान राम)
शायर विनय कुमार की, रामायण के राम।
अपने घर आये -हुई ' उर्दू तृप्ति तमाम।।६।।
(विनय कृत - विनय रामायण -उर्दू में )
रखते हैं श्री राम प्रति, उर्दू दां स्नेह।
'रामायण खुशतर' यहां,है 'रामायण मेह '।।७।।
(जगन्नाथ 'खुश्तर'कृत व सूरज नारायण 'मेह' कृत)
उर्दू -फारसी सभी के ,राम रहे मखदूम ।
'फारसी रामायण'पढ़ो,या कि पढ़ो 'मंजूम'।।८।।
(मखदूम-प्रिय, पहली -उर्दू शायर बदायूंनी कृत , दूसरी -' रामायण मंजूम'-शंकर दयाल 'फर्हत'कृत)
'रामायण का तर्जुमा' , भावों का भण्डार ।
श्री 'बहार' की भी पढ़ो, रामायण एक बार।।९।।
(बांके बिहारी लाल'बहार' कृत)
आलम वा रसखान के,राम चांद ज्यों ईद।
रामकाव्य रचकर गये,शायर 'चिश्ति'-'फरीद'।।१०।।
(ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती व बाबा फरीद)
'बेदिल' वा 'रसलीन' के,चित-चिंतन में राम ।
और 'हमीमुद्दीन' भी , लेते यहीं विराम ।।११।।
(चंद्रभान 'बेदिल', सै०गुलाम नबी'रसलीन'- बिलग्राम, हरदोई,हमीमुद्दीन नागौरी , राजस्थान)
विविध विलक्षण व विशद, होकर भी है ललाम।
संस्कृति को चिन्हित करें , सीता लक्ष्मण राम ।।१२।।
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डॉ अम्बरीष 'अम्बर'
बाराबंकी
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