है राह यह सुहाना, चाहे शीश हो कटाना ।
तुम सुन लो देशवासी, यह देश है हमारा ।
भारत के ऐ सपूतों, विश्वास को जगाओ ।
कमजोर करके दुश्मन, को देश से भगाओ ।
छायी रहे सदा ही, स्वाधीनता की लाली ।
आजाद हुई जननी, छाये सदा हरियाली ।
आकाश में लहराओ, तुम देश का तिरंगा ।
मन प्रशन्न होकर, जय हिंद गान गायें ।
उस लाल किले ऊपर, फहरे तिरंगा प्यारा ।
तुम सुन लो देशवासी, यह देश है हमारा ।
जय हिंद की धरा पर, गोरों का कैसे हक था ।
हर भारतीय बहादुर, खाया भी यह कसम था ।
करते थे कैसे पीड़ित, पूर्वज को वो हमारे ।
हक छीन लो तुम अपना, जननी तुम्हें पुकारे ।
डर भय को त्याग करके, हाथों में भाल ले लो ।
आवेश को जगाओ, उत्साहित होकर जाओ ।
दुश्मन न टिकने पाये, उन्हें देश से भगाओ ।
तुम सुन लो देशवासी, यह देश है हमारा ।
गांधी, सुभाष, नेहरु, आजाद, भगत, विस्मिल ।
सुखदेव, वीर अब्दुल, थे वीर साहसी वो ।
जिनके हृदय में जागी, पीड़ित हैं अपनी जननी ।
सर पर कफ़न को बांधे, निकली थी ऐसी टोली ।
दुश्मन के खून खेलें, स्वतंत्रता की होली ।
गोरों तुम्हें है जाना, भारत है यह हमारा ।
दुश्मन को खेद करके, वीरो ने गान गाया ।
तुम सुन लो देशवासी, यह देश है हमारा ।
है राह यह सुहाना, चाहे शीश हो कटाना ।
तुम सुन लो देशवासी यह देश है हमारा ।
डॉ. अर्चना दुबे रीत
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