डॉ. अर्चना दुबे रीत

है राह यह सुहाना, चाहे शीश हो कटाना ।


तुम सुन लो देशवासी, यह देश है हमारा ।


भारत के ऐ सपूतों, विश्वास को जगाओ ।


कमजोर करके दुश्मन, को देश से भगाओ ।


छायी रहे सदा ही, स्वाधीनता की लाली ।


आजाद हुई जननी, छाये सदा हरियाली ।


आकाश में लहराओ, तुम देश का तिरंगा ।


मन प्रशन्न होकर, जय हिंद गान गायें ।


उस लाल किले ऊपर, फहरे तिरंगा प्यारा ।


तुम सुन लो देशवासी, यह देश है हमारा ।


जय हिंद की धरा पर, गोरों का कैसे हक था ।


हर भारतीय बहादुर, खाया भी यह कसम था ।


करते थे कैसे पीड़ित, पूर्वज को वो हमारे ।


हक छीन लो तुम अपना, जननी तुम्हें पुकारे ।


डर भय को त्याग करके, हाथों में भाल ले लो ।


आवेश को जगाओ, उत्साहित होकर जाओ ।


दुश्मन न टिकने पाये, उन्हें देश से भगाओ ।


तुम सुन लो देशवासी, यह देश है हमारा ।


गांधी, सुभाष, नेहरु, आजाद, भगत, विस्मिल ।


सुखदेव, वीर अब्दुल, थे वीर साहसी वो ।


जिनके हृदय में जागी, पीड़ित हैं अपनी जननी ।


सर पर कफ़न को बांधे, निकली थी ऐसी टोली ।


दुश्मन के खून खेलें, स्वतंत्रता की होली ।


गोरों तुम्हें है जाना, भारत है यह हमारा ।


दुश्मन को खेद करके, वीरो ने गान गाया ।


तुम सुन लो देशवासी, यह देश है हमारा ।


है राह यह सुहाना, चाहे शीश हो कटाना ।


तुम सुन लो देशवासी यह देश है हमारा ।


 


डॉ. अर्चना दुबे रीत


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