कौन हो तुम
इस ओर से
उस छोर तक
कर देती
मुझको विचलित
देती दिल
झकझोर तक
कौन !
कौन हो तुम ?
भू से लेकर
घनघोर तक
करती उर मैं
पायल सा शोर तक
एक कोर से
एक कोर तक
कौन !
कौन हो तुम ?
शाम से लेकर
भोर तक
सांसो की चलती
डोर तक
कर देती मुझको
चितचोर तक
कौन!
कौन हो तुम है ?
है खोजता
कोई तुम को
इस छोर से
उस छोर तक
फैला अपने पंख
सागर की हिलोरे तक
कर देती मुझे
कमजोर तक
आखिर
कौन!
कौन हो तुम ?
डॉ बीके शर्मा
उच्चैन भरतपुर राजस्थान
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