यदि होती ना मुझ में स्याही
ना उन्माद में यौवन का भरती
ना पग सीने पर रखती तेरे माही
मैं लाज भी रखती तेरी प्रियतम
यदि होती ना मुझ में स्याही-1
इस खूबसूरत दुनिया में
यदि करता ना कोई बेईमानी
ना भला बुरा कोई मुझसे करवाता
तो मैं भी ना करती आनाकानी -2
पर सब ने अपने सुख की खातिर
जो चाहा वो लिखवा डाला
पाक साफ मुझे रहने ना दिया
तुझको भी करवा डाला काला -3
नौचली आंखें काट दी गर्दन
डर-डर थर-थर जान गवाई
मैं लाज भी रखती तेरी प्रियतम
यदि होती ना मुझ में स्याही-4
देख मेरी तू मजबूरी प्रियतम
जब तक चलती तेरी छाती
लोग भी छाती पर रखते हैं
ना चलती तो फेंक दी जाती
भला-बुरा सब बकते हैं -5
तुम ना होते मैं ना होती
ना होती जग में हंसाई
ना पथ तू मेरा होता
ना बनकर चलती मैं राही
मैं लाज भी रखती तेरी प्रीयतम
यदि होती ना मुझ में स्याही-6
डॉ बीके शर्मा
उच्चैन भरतपुर राजस्थान
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें