डॉ बीके शर्मा  उच्चैन भरतपु

"मृत्यु गीत" -1


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थाम हाथ


संग ले चल साकी


सामना तेरा मेरा है अभी बाकी


 


खूब जी के


जी भर जिया मैं


है अधीन जग तेरे 


तू नहीं किसी की दासी


थाम हाथ संग ले चल सकी.....


 


नहीं कुछ यहां मेरा जग


सर्व अर्पण मेरा तुझे पग पग में


मैं बाट जोहूं तो किस की 


ना मिलेगा कोई तुझसा साथी


थाम हाथ संग ले चल साकी......


 


क्यों मैं क्षण क्षण मरु


हूं क्यों मैं पल-पल जलूं


क्यों मैं आजकल करूं


क्यों चेहरे पर अपने लाऊ उदासी


थाम हाथ संग ले चल साकी......


 


 चाहता नहीं मैं पीछे हटना


 चाहता नहीं मैं तेरा टलना


 मैं चाहता हूं तुझमें मिलना 


 देख मेरी तू काल राशि 


 


थाम हाथ संग ले चल साकी


 सामना तेरा मेरा है अभी बाकी


 


डॉ बीके शर्मा 


उच्चैन भरतपुर राजस्थान


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