आशा का परचम लहरा
ना हो निराश बढा आत्मबल आगे बढ़ता जा
जीवन के हर मोड़ पर आशा का परचम लहरा
विकट है जीवन रूपी मोड उनमें अटक ना जा
बाधा को जो पार करे ऐसा केवट बन जा
मृग मरीचिका जीवन में रही हमें भटका
नैनो के मधु स्वप्न हमें देते नई दिशा
विपत्ति चाहे कैसी पड़े सरल उसे तू बना
होना है वह निश्चित है मन में ना शोक मना
सुख-दुख की जो स्थिति बने एकरस जीता जाय
मरम जो जीवन का मिले भरम सभी मिट जाय
कभी जीत के निकट पहुंच जब वापस लौट के आए
मन को ऋषि की भांति साध आशा का परचम लहरा ।
डॉ निर्मला शर्मा
दौसा राजस्थान
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