( गीत )
अवध में मंगल
अवध में मंगल है भारी
लौटे आज राम, सिय, लक्ष्मण
लगे अयोध्या अति प्यारी
चलो सखी हम दिए जलायें
फूलों से नगरी को सजायें
करें स्तुति मंगल गायें
मन जाए उनके बलिहारी
अवध में मंगल है भारी दर्शन को तरसे येअखियां
सरयू पर बैठी सब सखियां
बाट निहारे कर- कर बतिया
अब आओ धनुषधारी
अवध में मंगल है भारी पल-पल जैसे सदियों बीते
न्याय की आस में दिन गए रीते
आई घड़ी जब हुआ फैसला
सत्य की जीत पे मैं बलिहारी
अवध में मंगल है भारी मन पुलकित तन खुशी से नाचे
सीताराम की महिमा गावे
अबीर- गुलाल, पुष्प की वर्षा
स्वागत करते नर नारी
अवध में मंगल है भारी
डॉ निर्मला शर्मा
दौसा राजस्थान
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