डॉ. निर्मला शर्मा

जहाँ चाह वहाँ राह


 जहां चाह है वहां राह है 


कहते हैं सब दुनिया वाले


इंसान अगर ठाने जो मन में


 क्या है जो वह कर ना डालें


 सुविधाओं का अभाव रहेगा


 लक्ष्य मगर फिर भी ना डिगेगा


 कितनी भी ऊंची हो पहाड़ी


 पुरुषार्थ से रास्ता भी बनेगा 


चाहे कितनी गहरी हो नदियां


 निकलने का विकल्प वहां भी बनेगा


 कठिन डगर हो जीवन की जब


मानव करे जतन हर सम्भव


असम्भव को सम्भव वो बनादे


आसमान को चीर दिखादे


 जहां चाह है वहां राह है


 कहते नहीं ऐसे ही अनुभवी 


जीवन का है बड़ा फलसफा


रखो विश्वास का दिया जलाकर


डॉ. निर्मला शर्मा


दौसा राजस्थान


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