शीर्षकः इठलाती यौवन
गंगा सम निर्मल पावन मुख,
चन्द्रप्रभा शीतल कान्ति मुखर।
नव अरुणिम अस्मित मधुराधर,
कमलनैन पाटल तनु सुन्दर।।
लहराती गुम्फ़ित वेणी यह,
काली काली मतवाली शिखर।
नखशिख सुडौल सागर कपाल,
अभिनव लतिका कृश गात्र कमर।।
मतिवाली गति नितम्ब गज सम,
रुनझन खनक घुंघरू पायल।
पहन चूड़ियाँ खनकाती कर,
इठलाती यौवन चंचल चितवन।।
बिम्बाधर मुख कुसमित कपोल,
सम विन्ध्य हिमाद्रि वक्षस्थल।
दूज चन्द्रहास सुभाष मृदुल,
नव प्रीति हृदय उद्गार नवल।।
अनुराग मनसि रमणीय प्रियम,
दिलदार बलम गुलज़ार चमन।
अभिलाष मिलन सपने चितवन,
आभास प्रियम आलिंगित तन।।
अलिगान चारु कुसमित कानन।
मधुपान रसिक रसराज प्रियम।
दमकी दामिनि आगत सावन,
लखि विरह प्रिया बरसा नभ घन।।
साजन सजनी अभिसार मुदित,
सोलह शृङ्गार मुग्धा हर्षित।
नक्षत्र जटित परिधान भूषित,
निशिचन्द्र प्रिया मुख देख चकित।।
भींगी काया घनघोर वृष्टि,
रमणी मधुशाला शुभ दर्शन।
एकांग वसन विधिलेख सृष्टि,
किसलय कोमल सरोज वदन।।
पुलकित निकुंज मधुमास प्रिये,
गन्धमाद कुसुम सम भाव हिये।
सम लवंग लता तन्वी लचके,
जीवन मधुवन अभिराम धिये।।
कवि✍️डॉ.राम कुमार झा "निकुंज"
रचनाः मौलिक (स्वरचित)
नई दिल्ली
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