माँ का आँचल
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माँ तेरी आँचल से प्यारा
जग की कोई छाया नहीं।
माँ प्रेम के तेरे बराबर ,
ना प्रेम ही पाया कहीं ।
निस्वार्थमय तेरे बराबर,
पाया किसी को भी नही ।
चरणरजकण के सदृश,
जग का कोई हीरा नहीं ।
ईश्वर से पहले तू ही पूजित,
तुझसे बड़ा कोई भी नहीं ।
त्रिदेव खेलें आँचल में तेरे,
माँ तेरी तो महिमा है बड़ी।
डॉ.सरला सिंह "स्निग्धा"
दिल्ली
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