शहीदों की शान में हर बरस लगेंगें मेले,
गर्व करेगी देश की धरती,
बलिदान सार्थक हो जायेगा, उन माताओ बहनों का,
जब तिरंगे मे लिपटे लाल को वह अपनी छाती से लगायेंगी,
हर देशवासी गर्व से करेगा सलाम उन्हें,
तब बूढ़े पिता की आंखे बरसेंगी जरूर,
मगर ह्रदय सम्मान से चौड़ा होता जायेगा।
बेटे की शहादत को स्वीकार कर,
धन्य हो जाएंगी बूढ़ी आंखे,
कामना यही करती जायेंगी, फिर मुझे लाल मिले ऐसा।
तिरंगे की शान में भेट जिसे चढ़ाऊँ,
शहर देश सारा सैलाब उमड़ेगा,
शहीद की विदाई पर आसमान से फरिश्ता भी अश्रु बहायेगा।
जाया न जायेगी मेरे वीर जवानों की शहादत,
आज चार तो कल चौबीस सरहद पर आबाद मिलेंगें।
ये वीरों की जननी मातृभूमि है मेरी,
कल दुश्मन के खेमे में सौ-सौ जवान तैनात मिलेंगे।
डॉ शिवानी मिश्रा
प्रयागराज
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