चितचोर
चित को चुरा के मेरे,
किस देश जा बसे हो?
तुम तो बड़े हो छलिया-
किस प्यार सँग लसे हो??
बंसी बजा-बजा कर,
यमुना-किनारे सैयाँ।
वादे किए बहुत थे,
बैठे कदंब-छैंयाँ।
कसमों को भूल कर के-
किस जाल में फँसे हो??
अब तो पता बता दो,
चितचोर ऐ सँवरिया।
किस राह से ये पहुँचे,
तेरी गली बँवरिया?
तुझको निकालूँ आ के-
जिस कीच में धँसे हो।।
तेरा-मेरा ये नाता,
सदियों पुराना साजन।
तेरे हृदय की मलिका,
तुझको पुकारे राजन।
चितचोर मेरे छलिया-
क्यूँ दिल मेरा झँसे हो??
आ जाओ मेरे कान्हा,
तुझको पुकारे राधा।
निर्मल-विमल व सच्चा,
समझे न प्यार बाधा।
हर लो वियोग-विष को-
बन नाग जो डसे हो।।
चित को चुरा के मेरे,
किस देश जा बसे हो??
© डॉ0हरि नाथ मिश्र
9919446372
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