स्वाधीनता आन्दोलन में ' अगस्त क्रांति ' .....एक कविता
विषय:- भारत छोड़ो आन्दोलन
भारत की धरती वीरों की
अजर अमर रणधीरों की,
किंचित कायर नहीं यहाँ
शौर्य-पराक्रमी गम्भीरों की।
'मरो नहीं मारो' का नारा
शास्त्री जी ने फरमाया,
आजादी के आन्दोलन में
दावानल को भड़काया।
गांधी जी ने तोे दिया हमें
'भारत छोड़ो' नारा प्यारा,
'करो या मरो' को देकर
भारत माँ को दिया सहारा।
आठ अगस्त दिवस अमर
है भारत के इतिहास में,
असहयोग आंदोलन छेंड़ा
अंग्रेजों के क्रूर प्रवास में।
ब्रिटिश हुकूमत भारत में
जब बादल बनकर छाया,
उन्नीस सौ बयालीस में जो
'अगस्त क्रांति' कहलाया।
मेदिनीपुर सतारा में तब
प्रतिसरकार बना डाला,
भारत के वीर जवानों ने
अपना उद्देश्य सुना डाला।
द्वितीय विश्वयुद्ध में तब
अंग्रेजों के खट्टे दाँत हुए,
उनके साम्राज्यवाद पर
अाघात पर प्रतिघात हुए।
युद्ध की लपटें पश्मिम में
पूरब में था क्रांति का घोष,
एक तरफ बापू की आशा
एक तरफ सुभाष का जोश।
मौलिक रचना -
डॉ० प्रभुनाथ गुप्त ' विवश '
(सहायक अध्यापक, पूर्व माध्यमिक विद्यालय बेलवा खुर्द, लक्ष्मीपुर, जनपद- महराजगंज, उ० प्र०) मो० नं० 9919886297
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