डॉ0 रामबली मिश्र

मैने एक सुन्दर रचना देखी 


रचना में भावुकता देखी 


भावुकता में मृदुल स्नेह था 


छिपी स्नेह में ममता देखी 


ममता में निर्वाध प्रेम था


छिपी प्रेम में करुणा देखी 


करुणा में बेजोड़ चमक थी 


छिपी चमक में सृजना देखी 


सृजना में एक विश्व छिपा था 


छिपी विश्व में समता देखी 


समता में था मार्मिक चित्रण 


चित्रण में कोमलता देखी 


कोमलता की सहज पंखुडी


में खिलती मानवता देखी 


मानवता में आग्रह देखा 


आग्रह में थी नित्य वंदना 


वंदन में सक्रियता देखी 


सक्रियता की यही अर्चना 


सबमें संवेदनप्रियता हो।


 


रचनाकार :डॉ0रामबली मिश्र हरिहरपुरी 


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