डॉ0 रामबली मिश्र

सबसे कठिन मौनव्रतधारण।


बिन बोले होता उच्चारण।।


 


मौन यज्ञ में हवन करो मन।


ऊर्जा का हो केन्द्रित दर्शन।।


 


बनकर अन्तर्मुखी विचरना।


सदा शान्ति रथ पर चढ़ चलना।।


 


मौनव्रती बचता प्रपंच से।


बोल रहा सर्वोच्च मंच से।।


 


बिन उच्चारण सब कह देता।


बना हुआ है सर्व विजेता।।


 


सारे प्रश्नों का उत्तर है।


मौनव्रती सबसे सुन्दर है।।


 


अति प्रिय मानव सन्त सुहावन।


मौनव्रती मनसिद्ध लुभावन।।


 


हर मानव को शान्ति चाहिये।


मौनव्रती की राह चाहिये।।


 


डॉ0रामबली मिश्र


हरिहरपुरी 


कोई टिप्पणी नहीं:

Featured Post

दयानन्द त्रिपाठी निराला

पहले मन के रावण को मारो....... भले  राम  ने  विजय   है  पायी,  तथाकथित रावण से पहले मन के रावण को मारो।। घूम  रहे  हैं  पात्र  सभी   अब, लगे...