अभी वक़्त अनुकूल
नहीं है बाहर आने जाने को।।
बुला रही खुली हवा पर अभी
तू मत बाहर निकल।
लगी है आग मौत की तो तू
मत जाकर जल।।
बस किताबी ज्ञान नहीं है यह
दो ग़ज़ की दूरी।
हर कोने में आज है कॅरोना मत
फँसना तू इस दल दल।।
बन रही दवा पर अभी भी कुछ
वक़्त बाकी है।
अभी भी जिम्मेदारी इसमें बहुत
सख्त बाकी है।।
कम से कम मिले बाहर लोगों से
अभी भी आप।
कि दिखते अच्छे भले पर कहीं
कॅरोना रक्त बाकी है।।
यह बस एक महामारी ही नहीं
मानो एक चुनौती है।
बस अभी हर किसी के लिए जिंदा
रहने की मनौती है।।
बस कुछ दिन और काम लेना है
धैर्य विवेक समझदारी से।
रखना ख्याल परिवार का बनना
नहीं एक पनौती है।।
एस के कपूर श्री हंस
बरेली
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