कैसा हो जीवन हमारा....
इक उम्र बीत जाती है
कोई रिश्ता बनाने में।
जिंदगी होती है खर्च
एक संबंध कमाने में।।
अनमोल धरोहर होती है
रिश्तों की जमा पूंजी।
मत लुटा देना ये धन
यूँ ही अनजाने में।।
हमारे जीवन में एक
ईमान होना चाहिये।
सवेंदनायों का हममें नहीं
शमशान होना चाहिये।।
कोई रखता परिंदों के लिये
बंदूक तो कोई पानी।
जान लो जीवन में पाने को
इक मुकाम होना चाहिये।।
जरूरत नहीं खुदा बनने की
मेहरबान होना चाहिये।
भावनाओं से पूर्णआदमी को
दयावान होना चाहिये।।
मत छू सको आसमाँ ऊंचा
तो कोई बात नहीं।
बस आदमी को एक अच्छा
इन्सान होना चाहिये।।
एस के कपूर श्री हंस
बरेली।।
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