वरिष्ठ नागरिक सेवानिवृत्ति
दूसरी पारी की शुरुआत है।
अभी भी छूने को ऊपर
ऊंचा सा आसमान है।
एक वरिष्ठ नागरिक का
अनुभव तो महान है।।
सेवा निर्वती तो अंत नहीं
है इस जीवन का।
इसके बाद भी कर्म श्रम
पहचान सम्मान है।।
हर इक वरिष्ठ नागरिक
ज्ञान की खान होता है।
अपने में अनुभव समेटे
एक वरदान होता है।।
समाज का होता है वह
एक पथ प्रदर्शक।
वह समझ बूझ का सम्पूर्ण
एक पुराण होता है।।
दायित्व है उसके कंधों पर
नई पीढ़ी को सिखाने का।
अपने संस्कार संस्कृति की
हर बात बताने का।।
समाज परिवार का मुखिया
रास्ता भी दिखाना है।
भार भी सर पर कुप्रथाओं
से समाज को बचाने का।।
वरिष्ठ नागरिक बनकर छिपी
प्रतिभा को आप जगाइये।
अपनी सुप्त अभिरुचियों को
फिर से आप महकाइये।।
यह तो आप की दूसरी पारी
की नई शुरुआत है।
कुछ नया सा करके लोगों के
सामने आप लाईये।।
एस के कपूर श्री हंस
बरेली।
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