एस के कपूर "श्री हंस*" *बरेली।*

*भाव वसुधैव कुटुम्बकम का*


*होना चाहिये।*


 


जब दिल मुस्कुराये तो वही


सच्ची मुस्कान है।


दिल से निकली दुआ ही तो


सच्ची गुणगान है।।


बनावटी नकली रंगत पड़


जाती है फीकी।


जो मन से मांगे सब की खैर


वही सच्चा इंसान है।।


 


किसी के दिल का उजाला


बनो शमा बन कर।


जीत लो शत्रु का भी ह्रदय


तुम क्षमा बन कर।।


तुम्हारा अच्छा किया लौट


कर आता है जरूर।


डूबते के लिए सहारा बनो


तिनके सा जहाँ बन कर।।


 


वसुधैव कुटुंबकम का भाव


जाग्रत होना पाइये।


सब के साथ आप हँसना 


और रोना लाईये।। 


सब हैं एक ही ईश्वर की


संतानें इस जहाँ में।


क्षमा भाव हो ह्रदय में प्रबल


क्रोध खोना चाहिये।।


 


*रचयिता।एस के कपूर "श्री हंस*"


*बरेली।*


मोब।। 9897071046


                   8218685464


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