एस के कपूर* *"श्री हंस"।।।।।।। बरेली*

*बस महोब्बत ही महोब्बत*


*का पैगाम हो दुनिया में।।।*


 


हर इक इंसानी जान की


हिफाज़त हो दुनिया में।


बस महोब्बत ही की


तिजारत हो दुनिया में।।


नफरत से हो पर्दादारी 


हर दिल के अन्दर।


अमनो चैन की न कोई


खिलाफत हो दुनिया में।।


 


इंसानियत से तो न कभी


बगावत हो दुनिया में।


हर इंसां के बीच न कोई


भी अदावत हो दुनिया में।।


हर निगाह को महोब्बत


की ही नज़र मिल जाये।


बस यही इक ही


इबादत हो दुनिया में।।


 


खुदा नज़र आये इंसा में


यूँ शराफत हो दुनिया में।


न बरसे आग आंखों से


यूँ तरावट हो दुनिया में।।


महोब्बत से न हो कोई


कभी भी तन्हा यहाँ।


हर लफ्ज़ हो इक पैगाम


यूँ लिखावट हो दुनिया में।।


 


हाथों में हाथ दोस्ती का


यूँ दिखावट हो दुनिया में।


जज्बातों से न खेले कोई


यूँ बनावट हो दुनिया में।।


हर गुनाह से हो तौबा


अपने इस जमाने में।


सब मैं से बन जायें हम


यूँ सजावट हो दुनिया में।।


 


*रचयिता।।।एस के कपूर*


*"श्री हंस"।।।।।।। बरेली*


मोब 9897071046


               8218685464


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