भारत माँ का अभिमान बढ़े,
जब ख़ाकी सीना तान चले ।।
रात रात भर जागे खाकी,
दिन सड़कों पर काटे खाकी,
मिट्टी की द्योतक है खाकी,
मिट्टी से इसको मान मिले ।। जब खाकी सीना.....
यह संविधान की रक्षक है,
और कर्तव्यों की बोधक है,
जब मातृभूमि हो संकट में,
खाकी रंग फूल तमाम खिले।।जब खाकी सीना .....
खाकी फैशन परिधान नही,
धारण करना आसान नही,
यह लक्ष्य भेदने का प्रतीक,
है झंडे के अभिमान तले ।। जब खाकी सीना ...
माटी से नेह लगाती है,
मिट्टी से जुड़कर जीती है,
कर शपथ ग्रहण दायित्वों का,
आशा के दीप हजार जलें ।। ...जब खाकी सीना..
जब लिए तिरंगा धीर चलें,
खाकी में रंगे वीर चलें,
गाँधी के प्यारे तीर चलें ,
स्वर्णिम स्वप्नों के वितान तले।।जब खाकी .....
जय हिन्द कहा नेता जी ने,
सिंगापुर से ललकार उठी,
मतवाले वीर जवान चले,
गोरों के तोप कमान हिले ।।जब खाकी सीना..
हम भी ख़ाकी तुम भी खाकी,
जय हिन्द कहो भारत माँ की,
खाकी की ताकत देख देख,
अत्याचारी की चूल हिले ।।जब खाकी सीना...
गीता सिंह
पता-सिविल लाइन,प्रयागराज
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