तमसो मा ज्योतिर्गमय
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बसुधा का कण कण प्रमुदित हो,
ज्ञान और विज्ञान उदित हो,
बने व्यवस्था ऐसी भू पर
जिसमें जन का कल्याण निहित हो।
क्षत विक्षत हो महिमण्डल
विस्तृत जो अज्ञान अनय
तमसो मा ज्योतिर्गमय।
प्रेम दया की ज्योति जगे,
द्वेष क्लेश दूर भगे,
हिंसा का हो सर्वनाश अब
मानव , मानव को न ठगे।
तिमिर नष्ट हो भूमण्डल का
मानव-उर हो ज्योतिर्मय
तमसो मा ज्योतिर्गमय।
सुख समृद्धि सफलता जाए
कण कण में समरसता भाए
युग का बने प्रवर्तन ऐसा
जन जन में नव जीवन आए।
जागे सब में दया भाव
गूंज उठे संगीत मधुर मय
तमसो मा ज्योतिर्गमय।
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कालिका प्रसाद सेमवाल
मानस सदन अपर बाजार
रूद्रप्रयाग उत्तराखंड
पिनकोड 246171
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