स्नेह की मधुर बयार हो
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स्नेह की मधुर बयार में
पला प्रिये,
वियोग दीप में लिपट,
पतंग सा जला प्रिये।
चूमती धरा किरण उठी
निहारती,
झूमती निशा गई उतारती
आरती,
डोलती है मन्द वायु
बोलती पपीहरी,
खोलती सुगंधि कोष
मालती मनोहरी।
किन्तु दूर दूर मैं
उदास भाव से भरा,
वियोग धूप में सदा
तुषार सा गला प्रिये।
पास तुम रहो ,भले ही
दूर आसमान हो,
प्रसन्न तुम रहो, भले ही
रूठना जहां हो,
एक सूत में बंधे रहें,
विलग न प्राण हो,
चला रहे मनुष्य जब
कुचक्र के ही वाण हो।
रोम -रोम में भरी
मधुर अनन्त कामना,
किन्तु दूर -दूर
कौन जी सका भला प्रिये।।
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कालिका प्रसाद सेमवाल
मानस सदन अपर बाजार
रूद्रप्रयाग उत्तराखंड
पिनकोड 246171
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