काव्य रंगोली आज के सम्मानित रचनाकार सुनीता यादव


 


पद प्रधानाध्यपिका


 


विभाग बेसिक शिक्षा विभाग


 


निवास हरगांव,सीतापुर


 


साहित्यिक जीवन प्रारम्भ सितंबर2019


 


उपलब्धियाँ-


उत्कृष्ट शिक्षिका सम्मान सीतापुर, सम्मान पत्र अन्नपूर्णा सेवा संस्थान सीतापुर, काव्य शिरोमणि सम्मान हिंदी सभा सीतापुर,सम्मान पत्र काव्य कला निखार साहित्य मंच सीतापुर, कवच टीम सीतापुर में उत्कृष्ट कार्य हेतु प्राप्त सम्मान पत्र(आदरणीय श्री अखिलेश तिवारी जिलाधिकारी जनपद सीतापुर द्वारा),शिक्षा और सामाजिक क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य हेतु सम्मान पत्र हस्ताक्षर सामाजिक साहित्यिक एवं सांस्कृतिक संस्था द्वारा प्रदान किया गया।


 


 


इसके अतिरिक्त-


 


2013से अनवरत महिलाओं और बेटियों को प्रेरित करने के लिए महिला सशक्तिकरण कार्यक्रम का आयोजन करना और एहसास पत्रिका का प्रकाशन।


मिशन शिक्षण संवाद मासिक पत्रिका में अभियान गीत और कविताओं का प्रकाशन।


एहसास पत्रिका में बेटियों और महिलाओं के लिए प्रेरक कविताओं का प्रकाशन,दिव्यांग भाई बहनों को प्रोत्साहित करना और उनकी मदद करना।


 


जीवन का उद्देश्य-


 


।। शिक्षा और साहित्य को उत्कृष्ट बनाना ।।


 


                    ।। सुनीता यादव।।


 


 


 


      योग लक्ष्य


                   कविता


 


 मन में यदि लक्ष्य योग का है,


 सबसे पहले युज को जानो।


 अंतर्मन में जो खंड- खंड, 


युज धातु जोड़ती है मानो।


           है योग प्रयोग पतंजलि का,


           है योग महर्षि अयंगर का ।


           होती है इससे बुद्धि शुद्धि,


           मन केंद्रित भाव बृहद मानो।


है योग ये सातों चक्रों का ,


ब्रह्मांड के पांचों तत्वों का।


मानव की निरोगी काया का,


 अद्भुत प्रयोग है यह जानो।


             प्रारंभ सूक्ष्म व्यायामो से ,


             वृक्षासन ताड़ासन जानो। 


             समयाभाव यदि हो जाए ,


            तो सूर्य नमस्कार को अपनाओ।


 है राज शरीर के सौष्ठव का ,


है राज प्रसन्न चित्त आत्मा का।


जीवन की सफलता का है राज,


यह बात सत्य है सब मानो।


 


                 सुनीता यादव


               प्रधानाध्यपिका


               हरगांव, सीतापुर


 


 


 


बदलते रिश्ते


 


 बदलते रिश्तो ने रुख किया तो,


 सारे रिश्ते बदल गए हैं।


 ना बाप की बेटा सुन रहा है,


 ना बेटे की बच्चे सुन रहे हैं।।


 


 घरों की सूरत कुछ ऐसे बदली,


 सारे रिश्ते दरक रहे हैं ।


 मां-बाप को छोड़ कर अकेले,


 बेटे बहू विदेश चले हैं।।


 


 शहर की चका चोंध देखने ,


कल जो गांव से शहर गए हैं।


देख मौत को सर पे अपने,


 फिर वो शहर से गांव चले हैं ।।


 


बदल गई हैँ सियासते सब,


 देश के नेता बदल रहे हैं।


 किये थे वादे जो संसद में, 


 आज उनसे से मुकर रहे हैं।।


 


              सुनीता यादव


             प्रधानाध्यपिका


          बेसिक शिक्षा विभाग


           हरगांव, सीतापुर


 


 


 


।।प्रथम अवधी रचना।।


                        लोकडॉउन


 


लॉकडाउन न हटैया ,मैं का करूं।


देश म। मची हैय्या दैय्या,मैं का करूँ।।


 


जब ते कोरोना दानव आवा,


देश म। छीछालेदर लावा।।


यू तौ कोईक न छोड़ैया, मैं का करूँ।


 


 पहिले पहिल जब आवा करोना ,


22 का सब बंद भे घरमा ।।


कागा बोले चढ़ि मढ़ैया, मैं का करूं ।।


 


दूसरे चरण मा 21 दिन दीन्हा,


 सगरी व्यवस्था रोक की कीन्हा।।


 तब्बो कोरोना न जवैय्या, मैं का करूँ ।।


 


बड़े जतन मा 21 दिन काटे,


 दिन और रात बराबर लागे।।


 21म जुडिगे 11 भैया ,मैं का करूं।।


 


 एक एक पल है भारी सबका,


 बैठे बूढ़े युवा और लरिका।।


 घरम। मची हैय्या दैय्या मैं का करूं ।।


 


बड़ी आश मा सब दिन कटिगे,


सोचेन दुःख हमरेऊ सब मिटिगे।।


खुलिगई ठेकी दैय्या दैय्या, मैं का करूं ।।


 


लोकडॉउन न हटतैय्या, मैं क्या करूं।।


देशवा म मचि हैय्या दैय्या, मैं का करूँ।।


                              सुनीता यादव


                             प्रधानाध्यपिका


                     बेसिक शिक्षा विभाग


                             हरगांव, सीतापुर


 


 


 


।। सुनीता के दोहे ।।


गुरु की महिमा है बड़ी ,गुरु ज्ञान की खान ।


गुरु से लेकर ज्ञान को, बच्चों बनो महान।।


सुनो सब बच्चों बनो महान।।


बच्चों सुन लो ध्यान से ,गुरु से ले लो ज्ञान ।


 बिना गुरु के ज्ञान के ,कोई न बना महान ।।


सुनो सब कोई न बना महान ।।


विद्यालय है खान रतन की,इसमें आओ रोज ।


रत्नों से जीवन रचो ,करो एमडीएम भोज ।।


 सुनो सब करो एमडीएम भोज ।।


मिलो मोबाइल पर गुरुजन से, करो पढ़ाई खूब।। दीक्षा प्रेरणा ऐप से, ले लो ज्ञान अनूप।।


 सुनो सब ले लो ज्ञान अनूप ।।


पढ़ लिख कर आगे बढ़ो ,पाओ सब सम्मान ।सम्मानों के ढेर से , बढे मात पिता का मान ।।


सुनो सब बढे मात पिता का मान।।


                           सुनीता यादव


                         प्रधानाध्यपिका


                         हरगांव,सीतापुर


 


 


 


*वतन को नमन*


 


है धरा को नमन सँग गगन को नमन।


है नमन आज प्यारे वतन को नमन।।


 


भार सहकर तदपि आज जीवन दिया।


धैर्य रखकर मुसीबत रवाना किया।


मातृ रत्नावती का करें अनुगमन।


है नमन आज प्यारे वतन को नमन..


 


पितृवत स्नेह संबल हमेशा दिया।


हो मुसीबत लड़ें वीर जीवन जिया।


आज प्यारे गगन पर फिदा है चमन।


है नमन आज प्यारे वतन को नमन..


 


राष्ट्र के प्रेम बिन हैं अधूरे सभी।


देश से ही हुए आज पूरे सभी।।


हो सजग आज हम सब करें अब मनन।


है नमन आज प्यारे वतन को नमन..


 


है धरा को नमन सँग गगन को नमन।


है नमन आज प्यारे वतन को नमन।।


 


--सुनीता यादव


 


 


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