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कैसी थी वो
जाने कैसी थी वो
हर पल हंसना हंसाना
मुरझाई बगिया में
खुशियों की कलियाँ खिलाना ।
बच्चे और बड़े भी
थे जिनके दीवाने
गुरु थी या थी चेली
हम भी कभी ना जाने ।
छोटी बच्ची सी वो
कभी चली आती थी
कभी बड़ी बन जाती
बिगड़ी बात बना जाती थी ।
क्षण में ही वह जाने
कितने रूप बदल लेती थी
जिसकी जो हो जरूरत
सबके काम आती थी ।
समय चक्र का फेरा
उनसे नाता टूटा
सामने तो नहीं दिखती
पर दिल में तो बसी है।
इंतजार उस दिन का
जब साथ मेरे वह आए
मुरझाई सी कलियां
लहरा कर खिल जाएँ ।
अनामिका सिंह
2
ऊँची उड़ान
बड़े यत्न से जोड़ा हमने
एक-एक दीवार को
ढहा दिया एक झटके में
ईटों की मीनार को।
क्या पाया क्या खोया हमने
सोचा कभी न समझा
जीते रहे बस यूं ही
जीवन का हर लम्हा ।
क्यों खोया दिल का चैन
जाना कभी ना इसका राज
हम ही जिम्मेदार है इसके
तभी मिला कांटों का ताज।
ऊँची थी उड़ान हमारी
पंख हमारे सच्चे थे
कैसे पूरी होती मंजिल
जब नीव हमारे कच्चे थे।
लक्ष्य हमारा पूरा होता
अगर हम इसके रखवाले होते
उम्मीद हमारी पूरी होती
जब इसको हम संभाले होते ।
समय-समय पर देती प्रकृति
हम सब को खतरे का ज्ञान
फिर भी हम सब ध्यान न देते
होता हम सब को नुकसान ।
ध्यान रखो पर्यावरण का
अगर चाहते हो जीना
खुद भी जियो और जीने दो
मंत्र बना लो जीवन का ।
अनामिका सिंह
3
छवि विचार
विकल मन
कैसी छटपटाहट होगी
विकल होगा तन-मन
कैसी पीड़ा भोगी होगी
जलता होगा अंतर्मन ।
हाय मैं क्या करूं?
कैसे बचाऊ खुद को
पानी में तो कूद पड़ी
खुदा बचाए उसको ।
जिसने जन्म लिया नहीं
पीड़ा भोगी कैसी
हाय विधाता कहां हो
यह माया तेरी कैसी ?
कैसा पत्थर दिल होगा
कैसा होगा वह इंसान
मानव का वेष धरने वाला
होगा एक शैतान ।
पुण्यभूमि कहलाने वाला
क्या यही है हिंदुस्तान
जन्म लेने से पहले ही
बना दिया इसको शमशान।
पुण्य सलिला वसुंधरा को
मत लज्जित होने देना
बंद करो यह खूनी खेल
मनुष्यता को धोखा देना ।
सुधर जाओ तुम भारतवासी
मत रंगो खून से हाथ
भारत मां की लाज रखो
वरना हो जाओगे खाक।
अनामिका सिंह
4
🌹🌹🌹🌹🌹
उम्मीद
ढूंढती रही
दिनभर उम्मीद
मिल भी गई
आशा की एक रेखा
देखा है मैंने
बहुत से लोगों को
काटते हुए
उम्मीद के सहारे
पूरा जीवन
यही लोग छोड़ते
एक निशान
जीने की राह पर
जीते हैं लोग
जिनका नाम ले ले
उम्मीद पर
कायम है दुनिया
जीवन जीना
इसी का नाम तो है
खुशियां बांट
खुद खुश रह तू
दामन तुम
न छोड़ उम्मीद का
कट जाएगी
यह तेरी जिंदगी
रह जाओगे
बनकर मिसाल
सुंदर जहान में
अनामिका सिंह
5
आखों की भाषा
🌹🌹🌹🌹
सिलसिला जीवन का
चलता रहता है
सुख हो या दुख हो
खुशी हो या गम हो----
आंखों का रंग भी
बदलता रहता है हमेशा
कभी दुख से सराबोर
कभी खुशियों से भरी आंखें---
आंखों की भाषा पढ़ना
सीख लिया जिसने
जीवन जीने की कला
सीख ली उसने -----
जीवनसाथी की आंखों में
आंखें डालकर सारी उम्र
गुजार देता है सपने जीकर
मिसाल बन जाता है -------
बूढ़े मां-बाप की आंखों के
सपने साकार कर जाता है
बच्चों को जीने का
उद्देश्य समझा जाता है
सगे संबंधियों के बीच
चर्चा का विषय बन जाता है
जवानी तो अच्छे से बीत जाती है बुढ़ापा भी चैन से कट जाता है------
अनामिका सिंह
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