काव्य रंगोली आज के सम्मानित रचनाकार राजेश तिवारी " मक्खन "

पं.राजेश कुमार तिवारी " मक्खन"


कवि / साहित्यकार


एम. ए.(संस्कृत ) बी. एड.


जन्म तिथि 1/12/1964


पता : टाइप 2/528 बी एच ई एल 


आवास पुरी भेल झांसी ( उ. प्र.)


सम्प्रति : जिला परिषद इण्टर कालेज भेल झांसी


मो. व वाट्सेप नं. 09451131195


पिता : श्री मनप्यारे लाल तिवारी


माता : श्री मति कौशिल्या देवी 


जन्म स्थान : ग्राम पिपरा पो . बघैरा जि. झांसी 


Gmail -- rajeshtiwari528bhel@gmail.com


विधा :कविता ,गीत ,गजल ,हास्य, व्यंग अनेक पत्र, पत्रिकाओं में प्रकाशित ,आकाश वाणी से प्रसारित , कुछ चैनलों से प्रसारण अनेक मंचों पर काव्य पाठ एवं समाचार पत्र व मासिक पत्रिका का सम्पादन ।विशेषांक आदि ।


समीक्षा : तपस्विनी ( उपन्यास , लेखक सत्य प्रकाश शर्मा , सानिध्य बुक्स प्रकाशन नई दिल्ली )


सम्बन्ध : मंत्री ,सत्यार्थ साहित्य कार संस्थान झांसी 


               महा मंत्री , कवितायन साहित्य संस्था झांसी


               सचिव , नवोदित साहित्य कार परिषद भेल झांसी


               उपाध्यक्ष , प्रगतिशील साहित्य संस्था झांसी


सम्मान : ( निम्न साहित्यिक संस्थाओं द्वारा सम्मानित किया गया है )


१. सत्यार्थ साहित्य कार संस्थान झांसी


२. कवितायन साहित्य संस्थान झांसी


३. सरल साहित्य संस्थान झांसी


४. निराला साहित्य संस्थान बड़ागांव झासी


५. काव्य क्रांति परिषद झांसी


६. बुन्देल खण्ड साहित्य संगीत कला संस्थान झांसी 


७. श्री सरस्वती काव्य कला संगम नगरा झांसी द्वारा साहित्य सम्मान 


८.विश्व हिन्दी रचनाकार मंच द्वारा साहित्य सम्मान


९. वीरांगना महारानी लक्ष्मी बाई साहित्य सम्मान


१०. बुन्देली साहित्य व संस्कृति परिषद द्वारा विधान सभा भोपाल में साहित्य सम्मान


११. आचार्य श्री १०८ श्री ज्ञान सागर महाराज द्वारा साहित्यकार सम्मान


१२. नवांकुर साहित्य एवं कला परिषद झांसी द्वारा कीर्ति शेष पं. बन्द्री प्रसाद त्रिवेदी स्मृति सम्मान 


१३. विश्व हिन्दी रचनाकार मंच द्वारा लक्ष्मी बाई मैमोरियल एवार्ड सम्मान


१४ . विश्व मानवाधिकार मंच द्वारा राष्ट्रीय गौरव सम्मान


१५. निराला साहित्य संस्थान द्वारा साहित्य समाज सेवा सम्मान


१६. राष्ट्रीय हिन्दी साहित्य सम्मेलन द्वारा भारत के साहित्य रत्न 


१७. विश्व हिन्दी रचना कार मंच द्वारा राष्ट्र भूषण सम्मान


१८. महात्मा गांधी साहित्य सेवा मंच गुजरात द्वारा महात्मा गांधी साहित्य सेवा सम्मान


१९. लोक कवि ईश्वरी साहित्य शोध संस्थान द्वारा सम्मान 


२०.हिंदी साहित्य अँचल मंच अररिया , बिहार द्वारा हिंदी साहित्य रत्न सम्मान 


२१. सनशाइन क्लब झांसी द्वारा सम्मान


२२. प्रतिध्वनि साहित्यिक मंच नई दिल्ली द्वारा प्रशस्ति पत्र 


२३. "नचिकेता बाल साहित्य सम्मान " महात्मा गांधी साहित्य सेवा मंच गांधी नगर गुजरात


२४. ईसुरी साहित्य शोध संस्थान मेढ़की झांसी द्वारा बुन्देली कवि सम्मान


२५. प्रशस्ति / सम्मान पत्र काव्य कला निखार साहित्य मंच सीतापुर उ.प्र. द्वारा


२६. हमरंग साहित्यिक मंच पटना , बिहार द्वारा सम्मान ।


२७.. तुलसी साहित्य अकादमी जिला इकाई छतरपुर म.प्. द्वारा सम्मान पत्र 


२८.काव्य कला निखार साहित्य मंच सीतापुर उ प्र द्वारा "योग साधक सम्मान"


२९. हमरंग साहित्यिक मंच पटना बिहार द्वारा "साहित्य भूषण सम्मान"


३०. अखिल भारतीय साहित्य परिषद जिला टीकमगढ़ द्वारा योग दिवस पर सम्मान पत्र


३१. अखिल भारतीय काव्य मंच मुम्बई द्वारा सम्मान पत्र 


३२. मातृका विवेक साहित्यिक मंच द्वारा "मातृका सारथी सम्मान" 


३३. दैनिक देश भक्ति मंच दिल्ली द्वारा सम्मान पत्र


३४. हम तुम एवं गजल शायरी और गंजल संध्या परिवार अखिल भारतीय साहित्य कवि सम्मेलन इटावा द्वारा साहित्य गौरव सम्मान


३५. राष्ट्रीय आंचलिक साहित्य संस्थान हरियाणा द्वारा साहित्यिक गुरु इन्द्रा स्वप्न साहित्य सम्मान


३६. हमरंग साहित्यिक मंच पटना बिहार द्वारा सम्मान पत्र


३७. गांधी नगर साहित्य सेवा संस्थान चेरी ट्रेवल ट्रस्ट गुजरात द्वारा " गांधी नगर साहित्य सम्मान २०२० से सम्मानित ।


३८. संस्था राजस्थान भीनमाल जिला जालौर काव्य कला मंच द्वारा सम्मान पत्र


जहाँ विराजे राजा बनके,श्री सीता पति राम,


          ,मनुआ चलो ओरछा धाम ।।


 


पुष्य नखतर पैदल चलकर आते है नर नारी ।


सुनते राजा राम सभी की कहते महिमा भारी ।


लगती भारत भर में केबल,यही सलामी न्यारी ।


भूखी नही सो सकतीं कोई भक्त मंडली प्यारी ।।


अपने अपने हिय में ध्यावो,जो शोभा के धाम ।................................१


 


बैठे सुन्दर सिंहासन पर ,हीरा चमक रहा है ।


धनुष बाण है करकमलों में,चेहरा चमक रहा है ।


बाम भाग सोहै वैदेही,लघु भ्राता ललक रहा है ।


दुष्ट दलन के काजै उनका , बाहु फरक रहा है ।


भरा हुआ दरवार देख लो ,जो दीनो के दाम ।..................................२


 


राज काज सब धाम ओरछा के दिन भर निपटाते ।


मारुत सूत तब लाद पीठ पर रात अवध ले जाते ।


कनक भवन अरु धाम ओरछा दृश्य एक दिखलाते ।


 दूर दूर से दर्शन खातिर, नारी नर यहाँ से आते ।


भव्य चतुरभुज मंदिर से अब कोई नहीं है काम ।...............................३


 


पाताली हनुमान के दर्शन ,भक्ति भाव से करते ।


ये ही है वो राम दूत जो लाद पीठ पर चल ते ।।


केबल सीता राम नाम ये रात दिना ही जपते ।


जिनकी एक हुंकार मात्रसे दुष्ट निशाचर कपते ।


इननें ही प्रभु की सेवा हित रूप धरा अभिराम ।....................................४


 


दक्षिण दिश में वेत्रवती माँ वहती कलकल करती ।


जीवन का उत्साह सहज ही मानव उर में भरती ।


कंचन घाट की देखो शोभा क्या कमनीय कसकती ।


तट के तीर नीर अति निर्मल,मत्स्य किलोले करती ।


सच्चे मन से नहा के बोलो,जय जय सीताराम ।...................................५


 


 


                                  पं. राजेश तिवारी "मक्खन"


                                  शिक्षक जिला परिषद इण्टर कालेज भेल 


                                  पता::2/528 बी एच ई एल झांसी( उ.प्र.)284120


                                  मो09451131195


ंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंं


वृक्ष हमें देते है जीवन , ये जीवन सफल बनाओ ।


तीरथ व्रत और यज्ञ के पहले ,एक एक वृक्ष लगाओ ।।


वृक्ष धरा के भूषण है , ये करते दूर प्रदूषण ।


वसुधा का श्रंगार करो तुम ,पहना पादप भूषण ।।


देते प्राण वायु जो तुम को , दूषित को हर लेते ।


अर्थ धर्म अरु काम मोक्ष , ये चार पदार्थ देते ।।


इनसे सीता पता पूछते , राम ने कहा सुनाओ ।.......१...


पर उपकारी पेड़ सभी फल , फूल मूल सब देते ।


जिसके बदले में तुमसे ये , कहौ कहाँ कुछ लेते ।।


औषधि दवा जड़ी बूटी सब , तुम को प्राप्त कराते ।


वर्षा के हित बने सहायक , ग्रीष्म की छाह सुहाते ।।


सब तरू संत विटप बन रहते , शिक्षा कुछ अपनाओ ।।...........२


दातुन से ले दाह कर्म तक , इनका साथ रहा है ।


कथा भागवत में देखो तो , सुन्दर श्याम कहा है ।।


फूल फरै पर हेतु विटप ये , जीवन धन्य रहा है ।


जीवन वन से वन से जीवन , कैसा सत्य कहा है ।।


केवल माया में भरमाया , प्राकृतिक प्रेम बढ़ाओ ।..................३


ये उपकारी प्राणी है सब , इनको अब न काटो । 


जो है इन्हें काटने वाले , उनको भी अब डाटो ।।


मोहन बेनु बजावत तरु तर , दृश्य जरा तुम झाको ।


प्रभु तरु तर कपि डारके ऊपर , रामायन को आंको ।।


कार्बन ले आक्सीजन देते , सबको यह समझाओ ।..................४


तुलसी पीपल शमी आँवला , पूजें सब नर नारी ।


खड़ी आज अति विकट समस्या , परयावरणी भारी ।


अं धा धुन्ध कटाई करते , क्यों न वृक्ष लगाते ।


अपने पाउन आप कुल्हाड़ी , क्यों दुर्बुद्धि चलाते ।।


रोमावली माँ वसुधा की है , इनका दर्द मिटाओ ।..................५


जिन पर कोयल बैठ कूकती , पपिहा पिऊ पिऊ करता।


ऐसी पावन देख प्रकृति क्या , तेरा मन नही भरता ।।


आश्रम की शोभा है इनसे , खग मृग आश्रय दाता ।


इनकी सृष्टि कर अपने को , माने धन्य विधाता ।।


दस पुत्रो सम एक वृक्ष है , शास्त्रन सार सुनाओ ।..................६


तीर्थ वृत और यज्ञ के पहले , एक एक वृक्ष लगाओ ।।


रचयिता


राजेश कुमार तिवारी "मक्खन"


पता ...टाइप 2/528 आवास पुरी बी .एच.ई.एल. झांसी (उ.प्र.)पिन नं० 284120


मो.नं.09451131195


 


युवराज आपका अभिनन्दन , ऋतुराज आपका अभिनन्दन ।।


 


नूतन पल्लव परिधान पहिन ,


लतिकायें वंदन वार बनी ।


कर केलि कोकिला कूक रही ,


मंजरी आम तरु आन तनी ।।


अलि यत्र तत्र करते गुन्जन ।..............................१


 


मद मस्त हुए मधुकर आके ,


गुन गुन करके मड़राते है ।


कलियों का करते आलिंगन ,


चुम्बन ले के उड़ जाते है ।।


वहे वायु ऐसी जैसे हो नन्दन ।........................२


 


 सरसों की प्यारी क्यारी पर ,


देखो तितली मड़राती है ।


कभी इत आती कभी उत जाती , 


पीकर पराग इठलाती है ।।


सुन्दर सदृश्य का अभिवंदन ।.......................३


 


बागों में बहारें आने लगी ,


तरुओं पर छाई तरुनाई ।


मानव के मन भी उमंग भरे ,


बाकी वसंत की ऋतु आई ।।


सुमनान्जलि सहित करू वंदन ।......................४


 


ऋतुराज आगमन शुभ होवे ,


जन मानस में सद्भाव भरो ।


इस सृष्टि के हर प्राणी का ,


कल्याण करो कल्याण करो ।।


दुनिया में कही न हो क्रन्दन ।...........................५


 


राजेश तिवारी "मक्खन"


झांसी उ.प्र.


 


 


माँ जगजननी जगत धात्री जगपालन कारी ।


उमा रमा ब्रह्माणी माता माँ भव भय हारी ।।


माँ सीता सावित्री गीता माँ सबसे प्यारी ।


माँ की महिमा मैं क्या वरनु माँ सबसे न्यारी ।।......१


 


माँ कबीर की साखी सुन्दर , माँ काबा काशी ।


अल्प बुद्धि से मैं क्या कहदू , महिमा है खासी ।।


माँ तुलसी की रामायण है , मीरा पद वासी ।


माँ की कृपा कटाक्ष होत ही, दुर बुद्धि नासी ।।.......२


 


माँ वेदों का मूल स्रोत है , माँ मंगल वाणी ।


माँ है सब सुख सार यार , माँ ही है कल्याणी ।।


माँ ही स्वर की शुभ देवी है , माँ वीणा पाणी ।


मातृ की प्रेरणा से उपजत है , निरमल हिय वाणी ।।.......३


 


माँ गंगा यमुना कावेरी , सरस्वती सतलज है ।


शीतल मंद सुगंध पवन नित , माँ ही यह मलयज है ।।


माँ पाटल चम्पा वेला , माँ पावन पुष्प जलज है ।


माँ ही नृत्य मोर की थिरकन , माँ ही एक सहज है ।।..........४


 


माँ ममता का मान सरोवर , हिमगिर उच्च शिखर है ।


माँ पूनम की धवल चांदनी , दिनकर ज्योति प्रखर है ।।


माँ जिस पर करुणा कर देती , उसका भाग्य निखर है ।


जिस पर माँ की भ्रगुटी टेड़ी , वह तो अवश्य बिखर है ।।........५


 


माँ धरती की हरी दूब है , माँ केसर की क्यारी है ।


सकल विश्व में श्रेष्ठ हमारी , भारत माता प्यारी है ।।


यह पूरब के पुण्य हमारे , सुन्दर मति हमारी है ।


दिये मातु संस्कार सुमति संग , निश्चत बुद्धिसुधारी है ।।.........६


 


माँ धरती के धैर्य सरीखी , माँ ममता की खान है ।


माँ की उपमा केवल माँ से , माँ सचमुच भगवान है ।।


मातृ भूमि की महिमा माने , वह ही देश महान है ।


मक्खन सा मन जिसका होता , वही सही इंसान है ।।................७


 


माँ सामाग्री शकुन्तला है , माँ सु नीति की जननी ।


माँ सुरेश की सह धर्मणी , माँ सु भ्रात की भगनी ।।


दिव्य नीति की ज्योति जलाई बनी सुभग ये सजनी ।


वह अनन्त आकाश सुशोभित हुई शुभ तारा गगनी ।।..................८


 


कवि 


राजेश तिवारी "मक्खन "


टाइप 2/528 भेल झांसी उ. प्र.


9451131195


ंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंं


इस धरा का इस धरा पर सब धरा रह जायेगा ।


(चिन्ता तज चिन्तन करो , साथ में क्या जायेगा ।)


काम ऐसे कर तू वन्दे यश जगत रह जायेगा ।।


                                             अर्थ आये भी भला तुम धर्म मय अर्जन करो ।


                                             नीति की करना कमाई अंश कुछ अर्पन करो ।।


                                             पाप का पैसा तेरा सब , पाप ही कर वायेगा ।।.......१


जिनकी खातिर कर्म निदिंत तू हमेशा कर रहा ।


कनक सी काया कलश में पाप को क्यों भर रहा ।।


पाप का तेरा महल यह , देखते ढ़ह जायेगा ।।..........२


                                             पाप से यदि की कमाई काम न कुछ आयेगी ।


                                            कर्म यदि सुन्दर किये तो नाम दुनिया गायेगी ।।


                                            कर्म जो शुभ या अशुभ हो भोगना पड़ जायेगा ।।.......३


स़ोच लो जाना कहा है स्वर्ग में या नरक में ।


ईश कण कण में समाया सोच तेरे फरक में ।।


त्याग तप सम योग जीवन हो सफल सब जायेगा ।।........४


 



शिक्षक जि . परि . इ . का . भेल (झांसी )


9451131195


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