काव्य रंगोली आज के सम्मानित रचनाकार सुरेन्द्र सिंह राजपूत 'हमसफ़र'

सुरेन्द्र सिंह राजपूत 'हमसफ़र'


*पिता* - स्व. श्री टीकाराम राजपूत 


*जन्मतिथि* - 26 / 09 /1964


*शिक्षा* - बी. कॉम. एवं आई. टी. आई. उत्तीर्ण 


*ऑफिस सेवा*-शासकीय पॉलीटेक्निक कॉलेज उज्जैन में लेब टेक्नीशियन के पद पर कार्यरत


*पता* - एल.आई.जी. - सी6/25 आवास नगर देवास मध्यप्रदेश पिन - 455001


*मोबाईल एवं वाट्सप नम्बर* - 9826929480


ईमेल आईडी - surendrasinghrajput64@gmail.com 


*काव्य विधा* - व्यंग्य,गीत, मुक्तक, आलेख, लघुकथा, कहानी, संस्मरण आदि ।


*प्रसारण* - आकाशवाणी इंदौर 


(सिहंस्थ विशेष काव्य गोष्ठी), भास्कर न्यूज़ चैनल ( कवि दरबार काव्य कार्यक्रम में काव्य प्रसारण)


*प्रकाशन* -- अनेकों पत्र पत्रिकाओं में काव्य प्रकाशन 


एवं दस साझा संकलनों में 30 कविताओं का प्रकाशन 


1- कस्तूरी कंचन 2015 


( आगमन साहित्य संस्था नई दिल्ली )


2 - काव्यदीप - 2015 


( इंदौर साहित्य साग़र इंदौर )


3 - पुष्पगन्धा - 2016


( आगमन साहित्य संस्था नई दिल्ली )


4 - संवेदना के स्वर 2017 - गायत्री साहित्य संस्थान दिल्ली


5 - काव्य साग़र 2017 


( इंदौर साहित्य साग़र इंदौर )


6 - अनुभूतियों के स्वर 2018 - गायत्री साहित्य संस्थान दिल्ली 


7 - नई रोशनी नई पहल 2018 ( प्रजातंत्र का स्तम्भ प्रकाशन दौसा राजस्थान )


8 - काव्य रंग 2018 - इंदौर साहित्य साग़र इंदौर


*प्राप्त सम्मान* -- 


1 - शहीद सुरेन्द्र सिंह गोहिल काव्यांजलि सम्मान 2015 ( ऐनाबाद देवास )


2 - डॉ कविता किरण प्रतिभा सम्मान 2019 ( दिल्ली )


3 - स्व. प्यारसिंह राजपूत स्मृति सम्मान 2016 (गुराड़िया खरगोन)


4 - साहित्य सृजन सम्मान 2017 (क्रांतिधरा मेरठ )


5 - राष्ट्र गौरव सम्मान 2017 


( सुरभी साहित्य संस्था खंडवा )


6 - काव्यदूत साहित्य सम्मान 2018 


( इंदौर साहित्य साग़र इंदौर)


7 - कविरत्न सम्मान 2018 


(सुरभी साहित्य संस्था खंडवा)


8 - स्वतंत्र सम्मान 2018


( इंदौर साहित्य सागर इंदौर )


9 - प्रजातंत्र का स्तम्भ सम्मान 2018 (दौसा राजस्थान)


*दायित्व* -- (1)संस्कृति साहित्य रचनालय 'संसार' देवास में महासचिव पद का निर्वहन


 (2) श्री लक्ष्मी बाबूलाल पारमार्थिक ट्रस्ट देवास में प्रधान सचिव का दायित्व निर्वहन 


*गतिविधियाँ* - नेपाल सहित देश एवं प्रदेश के अनेकों नगरों में साहित्यिक कार्यक्रमों व कवि सम्मेलनों में भागीदारी ।


 भवदीय 


सुरेन्द्र सिंह राजपूत 'हमसफ़र'


देवास मध्यप्रदेश


 


मेरी पाँच कविताएँ निम्नानुसार हैं --


कविता क्रमांक ( 1 )


 


🌸 बच्चों के खेल 🌸


ज़माने के साथ ही 


अब बदल गए हैं बच्चों के खेल ।


वो दिन गए जब 


खेल बड़ा देते थे दिल के मेल ।


सुबह उठकर सीधे 


मैदान में दौड़ लगाया करते थे ।


दोस्तों को पाकर दिल के


कमल खिल जाया करते थे ।


फुटबॉल ,कबड्डी की 


टीमें बंट जाया करती थीं ।


पता ही नहीं चलता 


और दस बज जाया करती थी ।


जल्दी से घर भाग तैयार हो 


स्कूल जाते थे ।


शिक्षक के सम्मुख होते ही 


सिर झुक जाते थे ।


मस्ती ,आनन्द , 


ज्ञान , स्नेह सब मिलता था ।


ख़ुशियों से सराबोर 


वो जीवन चलता था ।


बदल गई है जीवनचर्या 


नये युग के आने से ।


बच्चों को सुख मिलता है


अब मोबाईल चलाने से ।


टी वी पर कार्टून देखते 


घण्टों बीत जाते हैं ।


मम्मी पापा कुछ बोलें 


तो उनको आँख दिखाते हैं ।


थोड़ी सी शिक्षा पाते ही 


गाड़ी मोबाईल लगता है ।


उसके बिना इस पीढ़ी का 


अब काम नहीं चलता है ।


कहाँ तक ज़िक्र करूँ मैं 


इस ज़माने की रफ़्तार का ।


बच्चों की नज़र में कोई मोल 


नहीं अब माँ बाप के प्यार का ।


"बच्चों के खेल" को अब 


मोबाईल निगल गया ।


दुनियाँ का हर खेल 


उन्हें मोबाईल में मिल गया ।


मेरे मोहल्ले का वो मैदान 


अब सूना नज़र आता है ।


जाने क्यों अब कोई बच्चा वहाँ


फुटबॉल खेलने नहीं जाता है....?


-- सुरेन्द्र सिंह राजपूत 'हमसफ़र'


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कविता क्रमांक ( 2 )


🌸 प्यासा पँछी 🌸


प्यासा मनवा, प्यासा पँछी 


भटक रहा संसार में ।


अपनी शरण में ले लो गुरुवर


चरणों के आधार में ।


अपनी शरण में.....


प्यासा मनवा......


 


लगता नहीं मन इस दुनियाँ में


कृपा आपकी मिल जाये ।


भव सागर में डोले नैया


उसको किनारा मिल जाये ।


 


पार लगा दो अब तो भगवन 


लेकर अपने दुलार में ।


अपनी शरण में ......


प्यासा मनवा.....


 


कोई नहीं जगत में अपना


समय ये कैसा आया है ।


नहीं सूझती राह किसी को 


अंधकार ये छाया है ।


 


उसका बेड़ा पार हुआ जो


डूबा आपके प्यार में ।


अपनी शरण में.....


प्यासा मनवा.....


 


बड़े दयालु आप हैं गुरुवर


सबको पार लगाया है ।


मिली आपकी भक्ति उसको


शरण आपकी आया है ।


 


अब न लगाओ देर गुरजी


भक्तों के उद्धार में ।


अपनी शरण में.....


प्यासा मनवा......


 


-- सुरेन्द्र सिंह राजपूत 'हमसफ़र'


देवास मध्यप्रदेश


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कविता क्रमांक ( 3 )


 


"कोरोना भगाना है"


 


सुनो भाईयों नारा ये


जन - जन तक पहुँचाना है ।


कोरोना हराना हमको 


कोरोना भगाना है ।


सुनो भाइयों नारा ये 


जन - जन तक पहुँचाना है ।


कोरोना हराना हमको 


कोरोना ........


 


महामारी है बड़ी ये घातक, 


दुनियाँ भर में फैली है ।


बढ़ती जाती है संक्रमण से,


नागिन बढ़ी विषैली है ।


इससे बचने के उपाय सब,


जनता को समझना है ।


कोरोना हराना हमको 


कोरोना भगाना है ।


सुनो भाइयों नारा ये 


जन - जन तक पहुँचाना है ।


कोरोना ..............


 


घर से बाहर कोई न जाये, 


न ही किसी से हाथ मिलाये ।


हाथों को साबुन से धोवें, 


मुँह पर अपने मास्क लगायें ।


निर्देशों का पालन करके 


ये समाज बचाना है ।


कोरोना हराना हमको 


कोरोना भगाना है ।


सुनो भाइयों नारा ये 


जन - जन तक पहुँचाना है 


कोरोना हराना हमको 


कोरोना ........


 


लॉक डाऊन है शहर हमारा, 


चीज़ ज़रूरी मिल जायेगी ।


जनता के सहयोग से भैया, 


बुरी घड़ी ये टल जायेगी ।


शासन के आदेश का पालन


करना और कराना है ।


कोरोना हराना हमको 


कोरोना भगाना है ।


सुनो भाईयों नारा ये 


जन - जन तक पहुँचाना है 


कोरोना हराना हमको


कोरोना ..................


--------0---------


-- सुरेन्द्र सिंह राजपूत 'हमसफ़र'


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कविता क्रमांक ( 4 )


 


🌸कल्याण करो माँ 🌸


 


हे जग जननी अम्बे माता 


इस जग का 'कल्याण करो' 


अखिल विश्व में रहे शांति 


'माँ' ऐसा वर प्रदान करो ।


हे जग जननी अम्बे माता


इस जग का ...............


 


त्राहि-त्राहि मची दुनियाँ में


महामारी ये कैसी आई ?


संक्रमण से बढ़ती जाती ,


इसकी नहीं है कोई दवाई ।


 


'कोरोना' को जड़ से मिटा दो


ऐसा कोई विधान करो ,


अखिल विश्व में रहे शांति 


'माँ' ऐसा वर प्रदान करो ।


हे जग जननी..............


 


सारी दुनियाँ करे उन्नति 


सारे जगत में खुशियाँ छाए ।


विश्व बन्धु की जगे भावना


भारत 'विश्व गुरु' कहलाए ।


 


सत्कर्मों की राह चलें सब


वही राह आसान करो ।


अखिल विश्व में रहे शांति 


'माँ' ऐसा वर प्रदान करो ।


हे जग जननी ............


 


रहे जगत में भाई चारा 


इक - दूजे से प्यार करें ।


राष्ट्र धर्म हो सबसे बढ़कर 


इस पर सब कुछ वार करें ।


 


जाति धर्म के भेद मिटाकर 


राष्ट्र धर्म निर्माण करो ।


अखिल विश्व में रहे शांति 


'माँ' ऐसा वर प्रदान करो ।


हे जग जननि ............


 


अखिल विश्व में रहे शांति 


'माँ' ऐसा वर प्रदान करो ।


हे जग जननी अम्बे माता 


इस जग ...................


 


-- सुरेन्द्र सिंह राजपूत 'हमसफ़र'


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कविता क्रमांक ( 5 )


 


देशभक्ति गीत 


 


🌸 मेरा भारत देश 🌸


इसी देश मे जन्म लिया है ,


खाया इसी देश का अन्न ।


फिर क्यों न कुर्बान करें हम,


इस पर अपना तन-मन-धन ।


इसी देश में .................


इसी देश में खेले- कूदे ,


इसी में हम सब हुए जवान ।


इसी देश में पाया सब कुछ,


इसकी धरती बड़ी महान ।


इसकी पावन मिट्टी को हम,


करते सौ - सौ बार नमन ।


इसी देश में ..............


इसकी महिमा अज़ब निराली,


साथ में मनाते ईद दिवाली । 


कल-कल करती बहती नदियाँ,


खेतों में रहती हरियाली ।


इसकी गाथा गाकर हम भी,


करलें अपना जीवन धन्य ।


इसी देश में ..............


इस पर जन्में वीर शिवाजी ,


इसी में महाराणा प्रताप ।


गौतम बुद्ध की पावन धरती,


मिट जाते सारे सन्ताप ।


इस पर जिसने जनम लिया है,


धन्य हुआ उसका जीवन ।


इसी देश में ..............


आओ मिलकर क़सम उठाएं,


आँच न इस पर आने पाए ।


आपस में सब एक रहें हम,


'वन्देमातरम' मिलकर गाएं ।


मोह नहीं हमको प्राणों का,


इसके लिए सब कुछ अर्पण ।


इसी देश में .................


--


 


 


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