माता का नाम-लल्ली देवी
पिता का नाम-स्व०रमेश चन्र्द द्विवेदी
संरक्षक-वामदेव द्विवेदी (लल्ला)
शिक्षा-एम. ए.(राजनीति,हिन्दी)
जन्मतिथि-20/06/1997
प्रकाशित रचनाएं-साहित्य के चमकते सितारे (संयुक्त काव्य संग्रह), दीपोत्सव (संयुक्त काव्य संग्रह), दैनिक जागरण,अमर उजाला,हिन्दुस्तान जैसे राष्ट्रीय पत्र तथा अंडरलाइन जैसी पत्रिकाओं में रचनाएं प्रकाशित ।
प्राप्त सम्म्मान-दोहा सम्मान गुफ्तगू प्रयागराज,सारस्वत सम्मान नासिक,तहजीब ए लखनऊ सम्मान (लखनऊ)राष्ट्रीय रामायण मेला सम्मान चित्रकूट (2019, 2020), काव्यांजलि साहित्यिक संस्था कानपुर द्वारा आयोजित प्रतियोगिता में गीत विधा में प्रथम स्थान प्राप्त किया 2018 में ।
विशेष-आकाशवाणी छतरपुर से काव्य पाठ तथा उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र के कई कवि सम्मेलनों में काव्य पाठ ।
पता -ग्राम-टीसी,पोस्ट-हसवा,जिला-फतेहपुर (उ.प्र )पि.212645
(1)
शीर्षक-रक्षाबंधन
विधा -मुक्तक
धागों में बहनों का प्यार ।
खुशियों का झिलमिल संसार ।
रिश्तों को करने मजबूत,
आया राखी का त्यौहार ।।1।।
छायी चारों ओर बहार ।
झलके भ्रात बहन का प्यार। ।
हर्षित पूरा भारत देश,
आया राखी का त्यौहार ।।2।।
पूजा की थाली तैयार ।
बहना बैठी रूप सँवार ।
जल्दी आओ प्यारे भ्रात,
आया राखी का त्यौहार ।।3।।
चाहे ना कोई उपहार ।
भइया देना केवल प्यार ।
बहना करती इतनी चाह,
आया राखी का त्यौहार ।।4।।
बहना करती है चित्कार ।
जीवन में दुख की भरमार ।
प्यारा भइया हुआ शहीद,
आया राखी का त्यौहार ।।5।।
(2)
शीर्षक कमजोर नहीं तुम नारी हो
विधा - गीत
खुद को जानो चिंगारी हो ।
कमजोर नहीं तुम नारी हो ।।
कब तक तुम अपमान सहोगी ।
निज बल से अनजान रहोगी ।
सदियों से प्रकृति दुलारी हो ।
कमजोर नहीं तुम नारी हो ।।
प्रलय-सृजन अंतस में पलते ।
कर्म दीप हर पथ में जलते ।
भाव यज्ञ नव तैयारी हो ।
कमजोर नहीं तुम नारी हो ।।
मातु शारदे लक्ष्मी काली ।
रूप कई हैं कृपा निराली ।
सच में तुम दुनिया सारी हो ।
कमजोर नहीं तुम नारी हो ।।
(3)
शीर्षक - जनसंख्या
विधा - गीत
और करें साधन हम खोज ।
जनसंख्या बढ़ती हर रोज ।।
धरती पर है बने दबाव ।
सूझे कोई नहीं बचाव ।
खेतों में नित बनें मकान ।
अन्न बिना मरते इंसान ।।
देती वायु विषैला डोज ।
जनसंख्या..............।।1।।
काम बिना भटकेंगे लोग ।
नए-नए होते हैं रोग ।
जिधर देखिए दिखती भीड़ ।
छोड़ परिंदे भागे नीड़ ।।
सोचो कैसी लगती पोज ।
जनसंख्या.............।।2।।
सुनिए बूढ़ी माँ की चीख ।
माँग रहे हैं बच्चे भीख ।
भूख यहाँ ले लेती जान ।
कुचले जाएँ नित अरमान ।।
करो नियंत्रण वाली खोज ।
जनसंख्या...............।।3।।
(4)
शीर्षक- गुरु जीवन जगत का सार है
विधा -मुक्तक
05/07/2020
सच में ज्ञान का आधार है ।
अपने में सकल संसार है ।
हर जन तथ्य यह स्वीकारता,
गुरु जीवन जगत का सार है ।।
उनसे खत्म होता अँधकार है ।
साक्षी ज्ञान वाला अवतार है ।
शत-शत बार चरणों में है नमन,
गुरु जीवन जगत का सार है ।।
होता प्राप्त जो भी अधिकार है ।
गुरु कर प्रेम शोभित तलवार है ।
देखो ग्रंथ भी ऐसा मानते,
गुरु जीवन जगत का सार है ।।
जिनकी बात सबको स्वीकार है ।
जिनका काम देना बस प्यार है ।
सब जन एक स्वर से कह रहे,
गुरु जीवन जगत का सार है ।।
अर्पित पद नमन बारंबार है ।
ईश्वर से जुड़ा सीधा तार है ।
प्यारी बात इतनी मत भूलना,
गुरु जीवन जगत का सार है ।।
(5)
शीर्षक-सावन
विधा- गीत
सावन की अनुपम छटा, छाई है चहुँ ओर ।
तन में भरती ताजगी, मन में उठे हिलोर ।।
आम-नीम झूले पड़े, सखी-सहेली साथ ।
हँसी-खुशी से झूलतीं, लिए हाथ में हाथ ।
महुए का है पालना, अरु रेशम की डोर ।
सावन............ ।।1।।
दमक रही है दामिनी, गिरने लगी फुहार ।
हरी-हरी चूनर धरा, पहने दिखा निखार ।
दादुर-चातक कर रहे, स्वागत वाला शोर ।
सावन........।।2।।
कृषक खेत हल-बैल ले, मगन रहे कर काम ।
धान लगाती नारियाँ, लगतीं बड़ी ललाम ।
मेघ पंक्ति नव देखकर, नाच उठे हैं मोर ।
सावन..............।।3।।
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