कुंती नवल

आज हमारा संकल्प है


चीनी माल का करो बहिष्कार


बना लो इसे सबसे बड़ा हथियार।।


स्वदेशी अपनाओ


देश को आगे बढ़ाओ।।


 


कविता प्रेषित है


 


""भारत के सैनिक की आवाज़"


 


भारत का वीर सिपाही कहता है


हैतुम साथ मेरा देते रहना


वतन की आन बान शान की


खातिर मुझे है रक्षक बन कर रहना।।


कविता प्रस्तुत है


हम वतन के रखवाले हैं सरफरोश


बड़े हिम्मत वाले हैं सरफरोश


वतन परस्ती का न ले इम्तिहान


संघर्षों के पाले हैं सरफरोश


आग के शोले हैं


बारूद के गोले हैं


आकाश से उतरते


ज्वाला के टोले हैं


हमारी फितरत पे न उठा उंगली


हम शत्रु का सिर धड़ से अलग करनेवाले हैं


कोई बवंडर न हमको रोक पाया है


हिमालय की सर्द हवाओं ने पाला है


सरहदों पर तने हुए हम धधकती ज्वाला हैं


दोस्तों के लिए हम प्रेम की हाला हैं


दुश्मनों की नाक में दम करने वाले


हम वतनपरस्त देश के रखवाले हैं।।


जल थल पवन


जहां भी गए पहुंच


शत्रु को न छोड़ा है


हम अमन चैन के पहरेदार


हम अभिनंदन से मतवाले


हम वतनपरस्त ,मां भारती के सपूत


बहुत ही हिम्मत वाले हैं बहुत ही हिम्मत वाले हैं।।


 


कुंती नवल, मुंबई 


986986245


कोई टिप्पणी नहीं:

Featured Post

दयानन्द त्रिपाठी निराला

पहले मन के रावण को मारो....... भले  राम  ने  विजय   है  पायी,  तथाकथित रावण से पहले मन के रावण को मारो।। घूम  रहे  हैं  पात्र  सभी   अब, लगे...